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यादव सुन डीएसपी को आया गुस्सा, बेवजह वार्ड सचिव को थाना में अधमरा कर छोड़ा !

वेशक अस्थावां प्रखंड के वार्ड-15 को सचिव मुकेश कुमार, जो कि एक स्वच्छताग्राही भी है, उसके साथ बिहारशरीफ डीएसपी नीशित प्रिया की शह पर अस्थावां थाना प्रभारी राकेश कुमार ने जो अमानवीय व्यवहार किया है, वह वर्दी की आड़ में खुली गुंडागर्दी है। पुलिसिया अमानवता की हद है।”  

बिहार शरीफ (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। नालंदा में सीएम नीतिश जी का कायम सुशासन कब कौन सा अर्थ ले लेता है, उसे समझना बड़ा मुश्किल है। खास कर पुलिस की मानसिकता का आंकलन करना तो और भी टेढ़ी खीर है।

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अस्थावां पुलिस थाना के हाजत में बंद वार्ड सचिव मुकेश कुमार…

खबर है कि डीएसपी के निर्देश पर एक मामले की पड़ताल करने गये सदल-बल थाना प्रभारी ने लौटते वक्त सीएम सात निश्चय योजना के तहत नल-जल का काम करा कर घर लौट रहे मुकेश कुमार को पकड़ लिया और उसे मारते-पिटते थाना ले आये। थाना में भी मुकेश की जमकर पिटाई की गई। उसके बाद अधमरा हालत में उसे छोड़ दिया गया।

इस मामले में सबसे बड़ा आरोप है कि जब थाना प्रभारी ने मुकेश के बारे में यादव जाति से होने की बात बताई तो डीएसपी बौखला गई। हो सकता है कि डीएसपी का इस जाति के प्रति पहले से आशंकित नजरिया रहा हो या फिर  वर्तमान राजनीतिक माहौल में  कोई प्रभावगत परेशानी।

बिहार शरीफ सदर अस्पताल में गंभीर हालत में भर्ती मुकेश कुमार…..

इस घटना से एक बार फिर नालंदा पुलिस का खौफनाक चेहरा सामने आया है। बिना कोई कारण बताए पहले पंचायत सचिव को थाने ले आई और उसकी इतनी पिटाई कर दी कि वह अधमरा हो गया।

यह बात अभी तक किसी को समझ में नहीं आ रही है कि आखिर पंचायत सचिव को किस कांड के तहत थाने लाई गई थी और अगर थाने लाई तो फिर उसे अधमरा कर बिना कोई केस दर्ज किए ही क्यों रिहा कर दिया गया।

बकौल पंचायत सचिव मुकेश कुमार, ‘उसे अस्थावां बाजार से बिना कोई कारण बताए पूछताछ के नाम पर पुलिस थाना ले आई। थाने में पूर्व से मौजूद डीएसपी निशीत प्रिया के निर्देश पर थानाध्यक्ष एवं उनके अन्य सुरक्षाकर्मियों ने भी जमकर मारपीट की। इतना ही नहीं मौके पर मौजूद डीएसपी ने मुकेश को इलाका छोड़ने की बात कहते हुए अंजाम भुगतने की धमकी भी दी।

बिहारशरीफ सदर अस्पताल के डॉक्टर की ईलाज रिपोर्ट…

पीड़ित मुकेश को फिलहाल गंभीर हालत देखते हुये बिहारशरीफ सदर अस्पताल पटना पीएमसीएच रेफर कर दिया गया है। जहां उसकी हालत स्थिर बनी हुई है।

सवाल यह उठता है कि अगर पंचायत सचिव मुकेश कुमार के ऊपर कोई मुकदमा या कोई वारंट था तो उसके साथ बेरहमी से मारपीट कर उसे थाने से क्यों छोड़ दिया गया। यह बात किसी को हजम नहीं हो रहा है। पुलिस के इस कार्रवाई से सवालिया निशान खड़ा होना लाजमि है।

गंभीर रूप से घायल पंचायत सचिव को पहले बिहारशरीफ सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों के अनुसार मुकेश कुमार के सिर में गहरी चोट लगने के कारण ब्रेन हेमरेज हुआ है। इस कारण उसकी स्थिति बेहतर नहीं कही जा सकती है। इसीलिये उसे बेहतर ईलाज के लिये पटना रेफर कर दिया गया है। इस घटना के बाद पंचायत सचिव मुकेश कुमार व उसका पूरा परिवार काफी सहमा हुआ है।

इस संबंध में सदर डीएसपी निशीत प्रिया का कहना है कि मुकेश यादव के खिलाफ पूर्व से कई मुकदमें दर्ज है और वह कई बार जेल भी जा चुका है। वह थाना में किसी तरह की मारपीट  की घटना से साफ इंकार करती है।

पीड़ित मुकेश के परिजनों द्वारा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को की गई शिकायत…

अगर मुकेश के ऊपर कई मुकदमा दर्ज है तो डीएसपी ही बेहतर बता सकी हैं कि उसे जेल क्यों नही भेजा गया। मारपीट कर क्यों छोड़ दिया गया। अगर मारपीट नहीं की गई तो फिर सदर अस्पताल के डाक्टर रिपोर्ट का सच क्या है। वह कैसे गंभीर हालत में पटना रेफर किया गया है।

इस मामले में एसपी सुधीर कुमार पोरिका का वहीं पुराना रटा-रटाया बयान सामने आया है कि अभी तक उनके पास इस तरह की कोई शिकायत व आवेदन पीड़ित सचिव के द्वारा नहीं दी गई है। फिर भी अगर इस तरह की घटना घटी है, तो इसकी जांच कराई जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

जबकि पीड़ित परिवार का साफ कहना है कि उन्होंने एसपी से लिखित शिकायत कर मामले में त्वरित जांच-कार्रवाई करने कर चुके हैं। एसपी पर मामले को गंभीरता से न लेने के आरोप भी लग रहे हैं। मामले की शिकायत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से भी की गई है।

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