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    Friday, November 15, 2024
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      मलमास मेला से अब खाजा नगरी सिलाव में भी बढ़ी रौनक

      राजगीर मलमास मेला के प्रथम सप्ताह तक खरीददारों की कमी के कारण व्यावसायी परेशान हो रहे थे, लेकिन इधर कुछ दिनों से खाजा की मांग बढने से व्यावसायियों के चेहरे पर रौनक देखी जा रही है”।

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज (संजय कुमार)। अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल राजगीर एंव नालंदा के बीच में बसा सिलाव की एक अलग ऐतिहासिक एवं आधुनिक महता  है । सिलाव जिसके कण-कण में आज भी ऐतिहासिक गरिमा झलकती है। आज खाजा नगरी के रूप में देश-विदेश में प्रसिद्धि पा चुकी है।silao khaja shop

      यही कारण है कि मलमास मेला के  दौरान सिलाव का दृश्य ही कुछ अलग हो गया है। इसका कारण है कि खाजा बनाने बाले कारीगर मेले के लिए अपनी सारी हुनर खाजा बनाने में लगा देते हैं।

      वर्तमान में सिलाव का परिदृश्य कुछ ऐसा हो गया है कि लोग बरबस बङे -बड़े थालों में सजी खाजा की ओर झपट पङते हैं। जैसे-जैसे मलमास मेला का समय गुजरता जा रहा है। वैसे-वैसे खाजा नगरी में रौनकता बढती जा रही है। सिलाव में खाजा बनाने की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है।

      अंततः सिलाव की जायकेदार खाजा की दुकानें पर इन दिनों मलमास मेला में आने वाले श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों की जमघट लगने लगी है। प्रायः हर लोगों का हाथ सिलाव पहुंचते उनकी जेबे में चली जाती है और पुनः उन हाथों में खाजे से भरे ढोंगा और कार्टून लटकते नजर आते है।

      silao khaja pack

      स्थिति यह है कि सिलाव का संध्याकालीन दृश्य बङा ही मनमोहक हो गया है। शाम ढलते ही खाजा की दुकानों दुधिया रोशनी की जगमगाहट से जगमग होने लगता है और बडे-बडे थालों में सजे खाजा को देखकर ग्राहकों की आंखों चौंधिया जाती है।

      खाजा व्यावसाय से जुड़े व्यवसाइयों की उम्मीद जगी है कि इस वर्ष व्यावसाय मुनाफा देकर ही जायेगा। व्यवसायियों ने बताया कि मेले के प्रथम सप्ताह तक खरीददारों की कमी के कारण व्यावसायी परेशान हो रहे थे।

      लेकिन इधर कुछ दिनों से खाजा की मांग बढने से व्यावसायियों के चेहरे पर रौनक देखी जा रही है। मलमास मेला के दौरान सिलाव  खाजा की दुकानें रात -दिन खुली रहती है।

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