“सबसे बड़ी बात कि आखिर मेले पर गंभीरता से नजर रखने के ढिंढोरें पीटने वाले शासन-प्रशासन की ‘दूसरी’ और ‘तीसरी’ आंख कहां सो रही?”
राजगीर (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज/राजीव रंजन)। लोहिया स्वच्छ बिहार और निर्मल नालंदा के नारों के बीच राजगीर मलमास मेला में स्वच्छता बनाये रखने के लिये इस बार 49 लाख रुपये की खर्च किये जाने हैं। लेकिन इस दिशा में नगर पंचायत के बाबूओं का शुरु से कायम रवैया में कोई बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है। जबकि अब मेला अपने अंतिम दौर में पहुंच गया है।
राजगीर मलमास मेला के व्यस्तम ईलाके का आलम काफी वद्दतर दिखती है। देश-विदेश के श्रद्धालु-पर्यटक लोग यहां से स्वच्छता की कैसी तस्वीर अपने मन-मस्तिष्क में ले जायेगें, इसे भलि-भांति समझा जा सकता है।
कहीं शीर्ष जिला प्रशासन के निगरानी के बाबजूद राजगीर नगर पंचायत के कार्यपालक अफसर-कर्मी संपूर्ण मलमास मेले में स्वच्छता के नाम पर व्यस्तता दिखाकर उपलब्ध राशि का बारा-न्यारा कर विभागीय सफाई का पाठ पढ़ाने लगे। जबकि प्रायः हर जगह इस अहम समस्या को लेकर सिर्फ धूल का रस्सी नजर आ रहा है।
मलमास मेला क्षेत्र में यत्र-तत्र बिखरे कचरों का ढेर एवं शौच की गंध से गुजरना मुश्किल है। यहां नगर पंचायत ने स्वच्छता का ठेका मेसर्स ब्रजेश कुमार नामक कंपनी को 49 लाख रुपए राशि की दे रखी है। लेकिन कमीशनखोरी के दौर में उस कंपनी की विवशता है कि नंगा नहाएगा क्या और निचोड़ेगा क्या।
नगर पंचायत के वार्ड संख्या 19 की सदस्या मीरा कुमारी साफ कहती हैं कि मलमास मेला में नगर पंचायत के अफसर स्वच्छता के नाम पर सिर्फ लूट मचा रखे हैं।
वार्ड नंबर 17 के सदस्य श्रवण कुमार बताते हैं कि यह मेला चार पिलर पर खड़ा है। जिसमें से 3 पिलर खराब हो चुका है। उसमें एक मलमास मेला क्षेत्र की स्वच्छता भी है।
वार्ड संख्या 9 की सदस्या रुक्मिणी देवी के अनुसार उन्होंने वार्ड की स्वच्छता के लिए दो बार लेटर पैड पर नगर पंचायत में आवेदन दिए। लेकिन आज तक साफ ही नहीं हो सका तो मेला क्षेत्र में स्वच्छता को लेकर में आशा रखना बेकार है।
सवाल उठता है कि स्वच्छता के नाम पर नगर पंचायत के अफसर-ठेकेदार की सांठ-गांठ आखिर किस हद तक गिरेगी कि देश-विदेश तक के श्रद्धालु-पर्यटक के बीच राज्य की धूमिल होती तस्वीर तक की चिंता नहीं है?