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 बेगूसराय में महंथ की पीट-पीटकर हत्या, कल वैशाली में हुई थी महंथ की हत्या

पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार के बेगूसराय जिले में मूर्ति चोर गिरोह के सदस्यों ने ठाकुरवाड़ी के महंथ की हत्या कर दी है। महंथ की हत्या के बाद इलाके में सनसनी फैल गई है। पुलिस मौके पर पहुंच घटना की जांच में जुटी है।

खबर है कि बेगूसराय जिला के मटिहानी थाना क्षेत्र में महंथ की हत्या हुई है। मटिहानी थाना क्षेत्र के सफापुर गांव में राम जानकी ठाकुरवाड़ी के महंथ की लाश सुबह ग्रामीणों ने देखी।bihar murder 1

ठाकुरवाड़ी में रोज की तरह पूजा करने आए ग्रामीण जब अंदर गए तो महंथ की लाश पड़ी हुई थी। ठाकुरवाड़ी से राम जानकी की मूर्ति भी गायब थी। महंथ के शरीर पर पिटाई के गंभीर निशान भी थे।

ग्रामीणों ने बताया कि राम जानकी ठाकुरवाड़ी के महंथ महेंद्र दास जी की हत्या मूर्ति चोरी के विरोध के कारण हुई थी।

अब तक की जांच में यह बात सामने आई है कि मूर्ति चोरों का गिरोह मूर्ति चोरी के लिए सफापुर गांव स्थित राम जानकी ठाकुरवाड़ी पहुंचा था। महंथ ने मूर्ति चोरी का विरोध किया तो उनकी हत्या कर दी गई।

ग्रामीणों ने पुलिस को बताया कि रोज की तरह रविवार रात भी कई ग्रामीण ठाकुरवाड़ी में बैठे हुए थे। रात ज्यादा होने के बाद ग्रामीण अपने-अपने घरों की ओर चले गए और

आशंका जताई जा रही है कि ग्रामीणों के जाने के बाद वहां मूर्ति चोर गिरोह के लोग पहुंचे होंगे और फिर मूर्ति चोरी की घटना को अंजाम दिया गया होगा।

कल वैशाली में भी हुई थी महंथ की घटना

वैशाली जिले में भी महंथ की हत्या हुई थी। वैशाली जिला के राघोपुर थाना क्षेत्र में महंथ की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। वैशाली में महंथ के हत्यारों का अभी खुलासा भी नहीं हुआ था कि बेगूसराय में महंथ की हत्या हो गई।

बेशकीमती मूर्तियां रहती हैं निशाने पर

बिहार के विभिन्न जिलों में सैकड़ों ठाकुरवाड़ियां हैं। ठाकुरवाड़ियों में राम जानकी सहित अन्य देवी-देवताओं की बेशकीमती मूर्तियां रहती हैं। मूर्ति चोर गिरोह का संबंध राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय तस्करों से रहता है।

अष्टधातु की मूर्तियां इन के खास निशाने पर रहती हैं। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अष्टधातु की मूर्तियों की कीमत करोड़ों में होती हैं। स्थानीय स्तर पर चोरी करने वाले को भी अच्छी-खासी रकम मिल जाती है।

पहले भी कई बार मूर्ति चोर गिरोह के सदस्य पकड़े जा चुके हैं और खुलासा हुआ था कि गांव की ठाकुरवाड़ियों से चोरी होने वाली मूर्तियां दिल्ली, कोलकाता, गुजरात, मुंबई के रास्ते दूसरे देशों में पहुंच जाती हैं और वहां इन मूर्तियों की कीमत करोड़ों रुपए हो जाती हैं।

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