रांची (प्रभात रंजन)। आज के इस बदलते परिवेश में जहां एक ओर हमारी रांची पुलिस अपनी उपलब्धियां और सुव्यवस्था बताते नहीं थकती, वहीं दूसरी ओर समय-समय पर इनकी झूठी संत्वाना, झूठे वादे और लेट लतीफी के उदाहरण भी बार-बार सामने आते ही रहते हैं।और हमारी पुलिस बस सत्यता जांच में ही 1 साल से लगी रह जाती है और अनुसन्धान का हवाला देते रहती है। पुरे एक वर्ष बीत जाने के बावजूद भी केवल पीड़ितों को पुलिस ने अपने झूठे आश्वासन के जाल में फंसा कर रखा है।
जी हां इसका प्रत्यक्ष उदाहरण एक ही परिवार में विभिन्न समयांतराल पर घटित दो घटनाएं हैं जो हमारी पुलिस के समझ से भी परे है। 17 नवम्बर 2005 दिन शुक्रवार को घटित इन्द्रनाथ साहू अपरहण कांड और 19 फरवरी 2016 को घटित नरेश साहू उर्फ़ छोटू साहू हत्याकांड। रांची के चुटिया थाना क्षेत्र की घटना है, जिसकी पीड़ित के घर से दुरी महज़ आधे किलोमीटर ही है। फिर भी आश्चर्य की बात यह है कि आज तक पुलिस को कई सुराग मिले पर अपराधी अब तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं।
इस तरह अपराधिओं ने दिया था घटना को अंजाम
घटना 19 फरवरी शुक्रवार के दिन की है जब नरेश साहू छोटू साहू सुबह 7:30 बजे जिम से लौटने के पश्चात जिन से लौटने के पश्चात अपने घर के बाहर बैठकर अखबार पढ़ रहे थे तभी अचानक एक बाइक से तीन अज्ञात लोग पहुंचे और गोली चला दी। उस समय नरेश का छोटा भाई मिट्ठू साहू गाड़ी साफ कर रहा था और घर के सभी सदस्य अंदर अपनी दिनचर्या में व्यस्त थे। जबतक सभी लोग बाहर निकलते अपराधी तबतक भाग चुके थे। इधर नरेश की बिगडती हालत को देख कर आनन-फानन में लोग नरेश को गुरुनानक अस्पताल ले गये जहाँ डॉक्टरों ने नरेश को मृत गोषित कर दिया।
भड़का जनाक्रोश, हुआ सडक जाम
घटना के पश्चात लोगों में आक्रोश इतना भड़का की चुटिया, बहू बाजार की सभी दुकानें बंद हो गईं थीं और भड़के जनाक्रोश ने बहू बाजार से लेकर काँटाटोली तक सड़क को जाम कर दिया। लोगों की बस एक ही मांग थी की नरेश साहू उर्फ्व छोटू साहू के हत्यारों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए। शुक्रवार की घटना के पश्चात लोगों ने २० फरवरी २०१६ दिन शनिवार को चुटिया और 22 फरवरी २०१६ दिन सोमवार को रांची बंद का एलान किया तथा 72 घंटों के अंदर अपराधियों के गिरफ्तारी की मांग रखी।
लोगों का कहना था की नरेश घर का एक मात्र कमाऊ व्यक्ति था अब इसके परिवार का गुजर-बसर कैसे चलेगा ? भड़के जनाक्रोश को देखते हुए प्रशासन की तरफ से सिटी एसपी कौशल किशोर, तत्कालीन सिटी डीएसपी सुदर्शन कुमार आस्तिक, थाना प्रभारी ब्रजकिशोर भारती और एसडीओ सहित कई वरीय पदाधिकारी भी घटनास्थल पर पहुंचे थे, और परिजनों को हत्यारों के ऊपर 24 घंटों के अंदर उचित कार्रवाई और मुआवजे का आश्वासन देकर लोगों से जाम हटाने का अनुरोध करके चले गए।
घटनाक्रम क्रम के कुछ समय पश्चात भी विभिन्न सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों के द्वारा कई बार विरोध किया गया, कई बार मसाल जुलूस निकाले गए परंतु प्रशासन केवल कुछ दिनों के लिए ही सक्रिय रही।
कैमरे की नजर से तो नहीं बचे अपराधी फिर भी पुलिस दोषियों को पकड़ने में अबतक है नाकाम
घटना के पश्चात जगह-जगह पर लगे सी.सी.टी.वी. कैमरे में अपराधीयों की तस्वीर कैद हो गयी थी और इन फुटेज के अनुसार पुलिस को कई सुराख़ मिले फिर भी अबतक कोई भी अपराधी नहीं पकड़ाया है। कई जगह पर छापेमारी भी की गयी परन्तु अब भी अपराधी प्रशासन की गिरफ्त से बाहर हैं।
पूर्व में कुछ दिनों तक पुलिस रही थी सक्रिय
बिगड़ते हालात को देखते हुए कुछ दिनों तक तो पुलिस सक्रिय रही अनेकों जगह पर छापेमारी की गई पर कहीं भी अपराधी नहीं मिले इसके पश्चात अनुसंधान के क्रम में कुछ दिनों के पश्चात मुंबई या स्कूटर नामक पीएलएफआई का एक संदिग्ध गिरफ्तार किया गया परंतु कुछ ही दिनों पश्चात उसे भी छोड़ दिया गया तब से लेकर आज तक केवल और केवल अनुसंधान का ही हवाला दिया गया है।
परिजनों का यह भी कहना है कि केस के सम्बन्ध में कोई भी गिरफ्तारी या जांच की अपडेट प्रशासन के द्वारा नहीं दी गई है। उसी प्रकार पुलिस की तरफ से स्वर्गीय नरेश साहू के पिता के अपहरण की भी कोई अपडेट नहीं है।
पूर्व में भी हो चुकी है और एक घटना, जानकारी के बावजूद भी प्रशासन नहीं है सक्रिय
घटना 17 नवंबर 2005 दिन शुक्रवार प्रातः करीब 6:00 बजे की है, जब स्वर्गीय नरेश साहू के पिता इंद्रनाथ साहू प्रातः दिनचर्या के अनुसार भ्रमण के लिए निकले थे और वह रात तक घर नहीं लौटे। तत्पश्चात जब इंद्रनाथ साहु की पत्नी फगन देवी करीब 2 दिन बीतने के बाद थाने में गई और तत्कालीन थाना प्रभारी के पास अपने पति की गुमशुदगी की प्राथमिकी दर्ज करने गईं तो थाने में उन्हें बताया गया कि पूर्व से ही उनके पति का नाम गुमशुदा लोगों में दर्ज है।
और जब उन्होंने प्रभारी महोदय से पहले से दर्ज प्राथमिकी की कॉपी या स्टेशन डायरी नंबर की मांग की तो थाना प्रभारी के द्वारा उन्हें किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं दी गई और यह कहा गया कि जब आपके पति मिल जाएंगे तो आप लोगों को बुला कर सुपुर्द कर दिया जाएगा।
कुछ दिनों पश्चात करीब 3साल बीत जाने के बाद पुनः जब फागन देवी ने थाने में जाकर पति के बारे में पूछा तो उन्हें बताया गया कि थाने में आग लगी थी और फाइलें जल गई हैं। और अब तो आलम यह है कि किसी भी प्रकार की कोई भी बातचीत करने से अधिकारियों के द्वारा कोई भी जवाब नहीं दिया जाता है।
नहीं सुखे हैं परिजनों के आंसू, थक चुके हैं थाने और अधिकारिओं के पास न्याय की गुहार लगाते-लगाते
आज भी श्री इंद्र नाथ साहू की पत्नी और स्वर्गीय नरेश नरेश साहू की मां फगन देवी घटना के विषय में सुनते ही बिलख बिलख कर रो पड़ती है, जैसे लगता है कि उनके घर की रौनक ही चली गई है। दो कमाऊ सदस्य यदि घर में नहीं रहे तो घर पूरी तरह से बिखर जाता है। फगन देवी की माने तो उन्होंने लगभग 10 माह पहले भी प्रशासन को अपराधीओं के विषय में बताया था और यहाँ तक की उन्होंने तो अपने देवर और उसके बेटों के उपर नामजद प्राथमिकी भी दर्ज करवाई थी फिर भी अज तक अरोपिओं से पुलिस ना ही कोई कार्रवाई कर रही है और ना ही कोई पूछताछ।
क्या कहते हैं पीड़ित के परिजनः
“पता नहीं कब मिलेगा न्याय और एक ही बात करती है क्या हमारे पति घर नहीं लौटेंगे कब तक आजाद घूमेंगे हमारे बेटे के हत्यारे ?” …….फगन देवी, अपहृत इन्द्रनाथ साहू की पत्नी और स्वर्गीय नरेश साहू की माँ।
“मैं तो लगभग हर एक अधिकारियों के पास जा चुका हूं परंतु सभी एक जैसे ही है मेरा तो प्रशासन और विधि व्यवस्था से विश्वास ही उठ चुका है” ……...मिठ्ठू साहू,अपहृत इन्द्रनाथ साहू के और स्वर्गीय नरेश साहू का भाई।
“इन दोनों घटनाओं ने हमारे परिवारे की नींव हिला दी है, मैं तो थाने से लेकर जिले के सभी वरीय प्रशासनिक पदाधिकारियों के दफ्तर का चक्कर लगा-लगा कर थक चुकी हूं, मेरे चाचा और उनके बेटे यदि मेरे भाईओं के खिलाफ पुलिस को झूठी शिकायत भी करते हैं तो पूरी पुलिस फ़ोर्स हमारे घर पर आ जाती है, पर मेरे लाख अनुरोध करने पर भी पुलिस के कानों में जू तक नहीं रेंगती, जबकि मेरे घर से ठाणे की दुरी महज़ 500मीटर है, पता नहीं कब लौटेंगे मेरे पापा ? क्या नहीं मिलेगी मेरे भाई के हत्यारों को सजा ?” ……..पूजा साहू, अपहृत इन्द्रनाथ साहू की पुत्री और स्वर्गीय नरेश साहू की बहन।
अब तो केस का नाम सुन कर भी अधिकारी जवाब देने से कतराते हैं
अब तो यह स्थिति हो गई है कि नरेश साहू के परिजनों की दर्द भरी दास्तां सुनने वाला भी कोई अधिकारी नहीं है। परिजनों का कहना है कि वह जब भी थाने या वरीय पदाधिकारियों के पास न्याय की गुहार लेकर जाते हैं तो केवल उन्हें सांत्वना दी जाती है। वर्तमान समय में तो यही स्थिति हो गई है की अधिकारी भी इनके सवालों के जवाब देने से कतराते हैं और हमेशा टालमटोल करते हैं।
क्या कहते हैं निकम्मे पुलिस अधिकारी
जब सूचना के आधार पर क्राइम ऑफ नेशन की टीम ने चुटिया थाना प्रभारी महोदय से इस खबर के विषय में बात करने की कोशिश की तो उन्होंने किसी प्रकार की बात नहीं करनी चाही और बार-बार फोन के माध्यम से सम्पर्क करने के बाद उन्होंने कहा
“अभी हमारे पास केस की कोई अपडेट नहीं है। “हमारे पास अभी इस केस पर बात करने का समय नहीं है, पुलिस के पास हाल में हुई घटनाओं से जुड़े बहुत सारे काम पड़े हुए हैं पहले से, जब समय मिलेगा तो बता दूंगा” …...ब्रज किशोर भारती, थाना प्रभारी, चुटिया, राँची।
“मेरी पोस्टिंग घटना के बाद हुई थी, जहाँ तक मुझे पता है परन्तु अभी तक अनुसन्धान में कोई भी पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा है। घटनाक्रम के कुछ समय पश्चात बम्बइया शूटर नाम के संदिग्ध को गिरफ्तार किया गया था परन्तु पूछताछ के बाद उसे छोड़ दिया गया था, वैसे अनुसन्धान जारी है” .…शम्भु कुमार सिंह, वर्तमान नगर पुलिस उपाधीक्षक, रांची।
“ऐसी बहुत सारी घटनाएं आए दिन घटित होते रहती हैं, केस तो बहुत बड़ा नहीं है, लगभग काफी पुराना भी हो चूका है, हमारे पास और भी बहुत सारे मामले हैं, और अभी हमारे पास इससे सम्बन्धित कोई अपडेट नहीं है, वैसे अभी अनुसंधान चल ही रहा है” …..कौशल किशोर, नगर पुलिस अधीक्षक रांची।
आखिर क्या कारण है कि पुलिस केवल एक पक्ष की ही सुन रही है और पारिवारिक झड़प का नाम लेकर केस को बंद कर दे रही है, आखिर क्यों जब पीड़ित के परिजन के ऊपर उनके चाचा या चचेरे भाई लोग कभी भी पुलिस को इनके खिलाफ एक छोटी सी भी शिकायत करते हैं तो पूरा पुलिस महकमा उनके घर पर फ़ोर्स सहित पहुंच जाता है परंतु बहुत ही शर्मिंदगी की बात है कि पीड़ित की ओर से उनके चाचा और चचेरे भाइयों के ऊपर लगभग 10 माह पूर्व ही नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई गई है इसके बावजूद भी पुलिसवाले अबतक हाथ-पर-हाथ रख कर बैठे हुए हैं ? क्या प्रशासन भी अब केवल एक ही पक्ष पर ध्यान देगा ? क्या न्याय की व्यवस्था पूरी तरह से हो गई है चौपट? कबतक आरोपियों की ही सुध लेता रहेगा प्रशासन ? क्या इसमें है कोई साजिश? या है प्रशासन और अपराधियों की मिलीभगत ? क्यूँ गुमराह किए जा रहे हैं स्वर्गीय नरेश साहू और इन्द्रनाथ साहू के परिजन ? कब लौटेंगे स्वर्गीय नरेश साहू के पिता इंद्रनाथ साहू ? क्या इन्द्रनाथ साहू की हुई है मृत्यु? या हुआ था अपहरण ? क्या नरेश साहू के हत्यारे यूं ही खुलेआम घूमते रहेंगे और प्रशासन मात्र मूकदर्शक बनकर बैठा रहेगा ? क्या कभी आगे नहीं बढ़ेगी अनुसंधान की कार्यवाही ? क्या नहीं मिलेगा नरेश साहू के परिजनों को न्याय ? कब तक इसी प्रकार की विधि व्यवस्था पर काम करेगी पुलिस ? कौन दिलाएगा इन्हें न्याय ? आखिर कबतक चलेगा अनुसन्धान ?
Related articles across the web
Muddy Nordstrom jeans going for $425 PAUL RYAN: The deal to avoid a government shutdown will not include payments needed to avoid Obamacare collapse DJI and Hasselblad combine for 100-MP aerial photography monster Political row over cross removal deflects focus from rampant land grab in Kerala’s Idukki district Jesse Williams Divorcing Wife After Paris Hookup With Minka Kelly? Pep Guardiola: Qualification for the Champions League will depend on our games at home Officials: I-85 repairs in Atlanta to cost up to $16.6M Anderson .Paak Taps Ty Dolla $ign And Schoolboy Q For “Come Down” Remix Don’t Expect What These Two Borders Ranchers Are Saying to Nancy Pelosi to be Reported by Liberal Media (VIDEO) Nigeria out of recession by June end – CBN gov