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बिहार के विकास के संदर्भ में आज भी प्रासंगिक है श्री बाबू के विचार

“मॉडर्न बिहार बनाने का श्रेय बिहार केसरी डॉक्टर श्री कृष्ण सिंह को जाता है। वे किसानों के हितैषी थे। ज़मींदारी प्रथा का उन्मूलन करने वाले वे देश के पहले मुख्यमंत्री थे।“

नालंदा (राम विलास)। आधुनिक बिहार के निर्माण में श्रीकृष्ण सिंह  के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। वे शिक्षा, कृषि और स्वास्थ्य के विकास के लिए समर्पित थै। कतरीसराय की सैदी गांव में आयोजित ‘ बिहार के विकास में डॉक्टर श्रीकृष्ण सिंह का योगदान ‘ विषयक परिचर्चा में शुक्रवार को वक्ताओं ने यह कहा।

sri babu 2बिहार केसरी डा श्रीकृष्ण सिंह के 130 वीं जयंती की पूर्व संध्या पर आयोजित  इस परिचर्चा का उद्घाटन पटना विश्वविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी और वरिष्ठ पत्रकार ब्रजनंदन ने संयुक्त रुप से किया।

इस अवसर पर प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी ने कहा कि मॉडर्न बिहार बनाने का श्रेय डॉ श्रीकृष्ण सिंह को जाता है। वह राजनेता के साथ कुशल प्रशासक भी थे। कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में उनके द्वारा उल्लेखनीय कार्य किए गए थे,  जो सदा सर्वदा याद किए जाएंगे।  बिहार के विकास के लिए शिक्षा स्वास्थ्य और कृषि का विकास होना बहुत जरूरी है ।

शिक्षा की बदहाली की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि प्राथमिक से उच्च शिक्षा तक बिहार में बदहाल है । शिक्षण संस्थाओं का हाल बहुत बुरा है।

गुड गवर्नेंस के लिए सत्ता के चरित्र में विकास की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने  कहा कि शिक्षा और व्यवस्था में गिरावट के कारण विश्वविद्यालय के कुलपति और आयोग के चेयरमैन आज जेल जा रहे हैं।

प्रथम मुख्यमंत्री के कार्यों और उपलब्धियों की चर्चा करते हुए  उन्होंने कहा कि नव नालंदा महाविहार नालंदा डॉ श्रीकृष्ण सिंह की देन है। उनके द्वारा ही प्रथम और द्वितीय पंचवर्षीय योजना का शुभारंभ किया गया था। उनके मुख्यमंत्री काल में बिहार की सत्ता में  पारदर्शिता थी। जात-पात और भाई-भतीजावाद से ऊपर था।

उन्होंने 1990 और 2005 के सत्ता की चर्चा करते हुए डॉ श्रीकृष्ण सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल की तुलना की और कहा कि किसी भी राज्य के विकास के लिए गवर्नेन्स आवश्यक है ।

वरिष्ठ पत्रकार ब्रजनंदन ने कहा कि स्कूली बच्चों को महापुरुषों – सेनानियों के बारे में बताने की जरूरत है।

उन्होंने श्रीकृष्ण सिंह स्मारक स्थल सैदी को ग्रामीण पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि प्रखंड प्रमुख और अंचल पदाधिकारी को इसके लिए  प्रयास करना चाहिए ।

उन्होंने कहा कि  पहले के समाजसेवियों की जानकारी वर्तमान पीढ़ी को नहीं है। डॉ श्रीकृष्ण सिंह लोकसेवक थे। इसीलिए वे  महान थे। श्रीकृष्ण सिंह स्मारक स्थल पर  हॉट और मेला के रूप में विकसित करने की आवश्यकता पर उन्होंने जोर  दिया।

पूर्व प्राचार्य सुरेश प्रसाद सिंह ने बीज वक्तव्य  देते हुए कहा कि डॉ श्रीकृष्ण सिंह महान स्वतंत्रता सेनानी थे। वे परिवारवाद और जात पात से उपर थे। डॉ श्रीकृष्ण सिंह जात पात से ऊपर उठकर सम्यक समाज के निर्माण कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं थे।

उन्होंने कहा कि देवघर के  सुप्रसिद्ध मंदिर में पहले हरिजनों का प्रवेश वर्जित था। श्री बाबू के प्रयास से ही देवघर मंदिर में हरिजनो को प्रवेश मिला था।

शिक्षा की बदहाली की चर्चा करते हुए इन्होंने  ने कहा कि बिहार में सबसे अधिक ह्रास किसी क्षेत्र में हुआ है तो वह शिक्षा का क्षेत्र है ।

नवादा के राजेंद्र महिला कॉलेज की चर्चा करते हुए कहा इस कॉलेज में केवल 6 व्याख्याता हैं, जिनके भरोसे पूरा महाविद्यालय चल रहा है। उन्होंने कहा आज के नेताओं में कहीं नीति  नहीं दिखता है ।

समारोह की अध्यक्षता दरवेशपुरा पंचायत के मुखिया और डॉक्टर श्रीकृष्ण सिंह स्मारक समिति के अध्यक्ष नवेन्दू झा ने किया।राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त अध्यापक डॉ जयनंदन पांडे के मंगलाचरण से कार्यक्रम शुरु किया गया ।

इस अवसर पर राजेंद्र प्रसाद  सिंह, प्रखंड प्रमुख धनंजय प्रसाद एवं अन्य  ने भी विचार व्यक्त किया। रेवती रमण ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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