“झारखंड राज्य बाल संरक्षण आयोग ने 8 पन्नों की जांच रिपोर्ट में सरायकेला जिला पुलिस-प्रशासन की उड़ाई धज्जियां। एक्सपर्ट मीडिया के खुलासों पर लगी मुहर। राजनगर थाना प्रभारी की मौजूदगी में हुई नाबालिग छात्रा की थाने में शादी। एसपी और डीसी ने नहीं दिखाई गंभीरता……”
-:एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क/मुकेश भारतीय/संतोष कुमार :-
सौंपे गए रिपोर्ट के अनुसार राज्य बाल संरक्षण आयोग ने एक्सपर्ट मीडिया की हर उस दावे पर मुहर लगाई, जो हमारे पड़ताल के दौरान दिखाए गए थे।
राज्य बाल संरक्षण आयोग ने जिला पुलिस एवं प्रशासन की भूमिका को सवालों के घेरे में खड़ा किया है और कहा है कि जांच के दौरान जिले के एसपी और डीसी ने आयोग को गुमराह किया और आयोग के बुलाने पर दोनों पदाधिकारी मौजूद नहीं रहे। इससे साफ जाहिर होता है कि जिला प्रशासन सरकार की नीतियों को लेकर कितना गंभीर है।
सौंपी गई रिपोर्ट में बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष के अनुसार कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में घोर अनियमितता पाई गई। इतना ही नहीं एक्सपर्ट मीडिया के उन तमाम दावों पर आयोग ने मुहर लगाया जो पूरे घटनाक्रम के दौरान एक्सपर्ट मीडिया ने रखने का प्रयास किया।
हैरानी की बात तो यह है कि इतने बड़े प्रकरण में अब तक जिला प्रशासन की ओर से तत्कालीन राजनगर थाना प्रभारी यज्ञ नारायण तिवारी और एएसआई अनिल ओझा पर प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है।
इसे राज्य बाल संरक्षण आयोग ने गंभीरता से लेते हुए राज्य पुलिस महानिरीक्षक को तत्काल संज्ञान लेने का फरमान जारी किया है। जिले के एसपी चंदन कुमार सिन्हा ने तत्कालीन थाना प्रभारी यज्ञ नारायण तिवारी और एएसआई अनिल ओझा को बचाने का पूरा प्रयास किया है।
जबकि महज खानापूर्ति करते हुए एक को लाइन क्लोज कर दिया और एक को सस्पेंड कर दिया। जिससे साफ जाहिर होता है कि प्रथम दृष्टया एसपी ने माना था कि नाबालिक छात्रा की शादी थाना परिसर में कराई गई है।
लेकिन मीडिया को गुमराह करते हुए बयान जारी किया था कि थाना में शादी की बात गलत है। वहीं जिला प्रशासन ने भी मामले को गम्भीरता से नहीं लिया और जिला प्रशासन की ओर से जो FIR दर्ज कराया गया है, उसमें कहीं भी दोनों अधिकारियों का नाम अंकित नहीं है।
वैसे मजे की बात तो यह है कि मामले से जुड़े सभी आरोपी अब तक खुले में घूम रहे हैं। उससे भी ज्यादा मजे की बात यह है कि मामले को बेवजह झूठा बता कर पूरे मामले को गुमराह करने वाले मीडिया कर्मी भी अब पूरे घटनाक्रम पर मौन साध रखे हैं।
एक्सपर्ट मीडिया की नसीहतः
निश्चित तौर पर ठोस प्रमाण मिलने के साथ ही एक्सपर्ट मीडिया ने एक ऐसे मामले का खुलासा किया, जो केंद्र और राज्य सरकार की एक अत्यंत महत्वाकांक्षी परियोजना है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ इसके तहत सरकार सामाजिक कुरीतियों पर रोक लगाने के लिए बाल विवाह को एक जघन्य अपराध माना है ऐसे में कानून के रखवाले ने जिस तरह से चंद रुपयों के लिए कानून का खुल्लम खुल्ला मजाक बनाते हुए नाबालिग की थाने में शादी करा दी।
थाना को बचाने में कुछ दलाल और चाटुकार मीडिया कर्मी इस कदर हावी हुए कि इतने बड़े मामले को छुपाने का हर वह हथकंडा अपनाया, जिससे यह पूरा मामला झूठा साबित हो जाए।
इसे झूठा बनाने में जिले के पुलिस कप्तान और उपायुक्त ने भी अपने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लेकिन एक्सपर्ट मीडिया ने सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए पूरे मामले को गंभीरता से लिया और दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया।
यहां तक कि राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ने ग्राउंड जीरो से जो रिपोर्टिंग की उसमें एक्सपर्ट मीडिया की सभी पड़ताल पर मुहर लगाया।
एक्सपर्ट मीडिया वैसे तमाम लोगों से अपील करती है जो कानून का इस हद तक मजाक बनाने का प्रयास में लगे हैं, जिन पर कानून का रखवाली का सबसे बड़ा दारोमदार है। उनसे एक्सपर्ट मीडिया अपील करती है कि केंद्र और राज्य सरकार की नीतियां गलत नहीं होती, उन्हें इंप्लीमेंट करने वाले अधिकारियों की नीति और नियत गलत होती है।
एक्सपर्ट मीडिया केंद्र और राज्य सरकार से अपील करती है कि ऐसे भ्रष्ट और विवेकहीन अधिकारियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करें और कानून में देय सजा के प्रावधान के तहत उन्हें सलाखों के पीछे भेजें।