“यहां हर राजनीतिक पार्टियां का अपना अपना सिलसिलेवार ढंग से चुनाव के समय घड़ियाली आंसू चलता है चाहे वह सत्ता पक्ष का हो या विपक्ष। सब दलित महादलित की राजनीति कर लोग सत्ता में अपना ताकत जमाना चाहते हैं।“
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज (राजीव रंजन)। दलित एवं महादलित के पूर्वजों का नाम बेचकर इनके वोट पर अपना अधिकार जमाना शुरू कर देते हैं। अंबेडकर जी के जन्मदिन पुण्यतिथि पर उन्हें याद कर उनके तस्वीरों पर पुष्पांजलि एवं श्रद्धांजलि अर्पित कर राजनीतिक पार्टियों के सफेदपोश लोग अपनी लिट्टी सेंकने में लगे रहते हैं।
लेकिन शायद उन्हें यह पता नहीं कि जिनके पूर्वजों का नाम बेचकर दलित और महादलित के वोटों का अपना अधिपत्य जमाता है, मगर उन महादलित और दलितों के बच्चे अभी भी अपना भविष्य पहाड़ की तलहटी में खोजते हुए नजर आते हैं।
कुछ ऐसा ही नजारा विकास पुरुष के राज्य बिहार के नवादा जिले के बानगंगा के पास स्थित पुलिस फायरिंग सेंटर के पास देखने को मिलता है।
वहां आसपास गांव में निवास कर रहे महादलित और दलित के बच्चे पुलिस की फायरिंग समाप्त होने के बाद अपने जी जान लेकर पहाड़ की तलहटी के तरफ दौड़ते हैं और वहां गोली की पीतल को खोजते हैं और उसे ₹2 ₹4 में बेचते हैं।
इससे साफ जाहिर होता है कि इन महादलित परिवार के बच्चे इस पहाड़ के तलहटी में ही अपना भविष्य को खोजते हैं और यह क्षेत्र आजादी के 70 साल बीत जाने के बावजूद भी शिक्षा और स्वास्थ्य से वाकिफ नहीं है।
फिर भी सत्ता एवं विपक्ष के लोग दलित एवं महादलित परिवार के उत्थान की बात करते हैं। जबकि बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश की राजनीतिक पार्टियां दलित एवं महादलित को लेकर अनेक अनेक योजनाएं धरातल पर लाने की बात करती है। इनके वोट की राजनीति करते हैं। इनके पूर्वजों का नाम बेचकर इनके वोट का हकदार बनते हैं।
आजादी के 70 साल बीत जाने के बावजूद आखिर सवाल उठता है कि दलित और महादलित की राजनीति करने वाले हर राजनीतिक पार्टियां अपने गिरेबान में झांक कर देख लें कि देश में अभी दलित और महादलित के साथ-साथ मध्यम वर्ग के कितने पिछड़े हैं कि वे पहाड़ की तलहटी में अपना भविष्य को खोज रहे हैं।
पहाड़ की तलहटी में अपना भविष्य तलाश रहे हैं महादलितों के ये बच्चें….देखें वीडियो……