पटना (जयप्रकाश नवीन). बिहार के चर्चित हॉट सीट पटना साहिब लोकसभा से सांसद सिने स्टार ‘बिहारी बाबू ‘शत्रुहन सिन्हा भाजपा से बागी क्या हुए, कई लोगों के बांछे खिल उठी है।
देखा जाए तो पटना साहिब लोकसभा सीट पर अब तक सवर्णो का ही कब्जा रहा है। लेकिन अब पटना साहिब लोकसभा सीट पर कुर्मी प्रत्याशी उतारने की मांग नालंदा से उठी है।
नालंदा से कुर्मी क्षत्रिय समाज के अखिल भारतीय संगठन, शिवाजी संघ, पटेल मैत्री समिति, अखिल भारतीय कुर्मी क्षत्रिय महासभा सहित अन्य संगठनों ने आगामी लोकसभा चुनाव में पटना साहिब लोकसभा सीट पर कुर्मी समुदाय से प्रत्याशी उतारने की मांग की है।
संगठन का कहना है कि भाजपा ने अब तक भूमिहार और कायस्थ प्रत्याशी दिए हैं। सिर्फ 1996 के चुनाव में भाजपा ने अब तक सिर्फ़ एक कुर्मी प्रत्याशी डॉ एस एन आर्या को मैदान में उतारा था, लेकिन वे हार गए।
संगठनों ने भाजपा पर आरोप लगाया कि उनके शासनकाल में कुर्मी समुदाय हमेशा हाशिए पर रहा है। यहां तक नालंदा में कुर्मी बाहुल्य क्षेत्र रहने के बाद भी भाजपा में सिर्फ एक जाति का दबदबा रहा है। कुर्मी समाज से अब तक भाजपा का कोई जिलाध्यक्ष भी नहीं बना है।
संगठन के नेताओं ने कहा कि पटना साहिब लोकसभा सीट पर इस समाज का बहुमत है। अगर भाजपा कुर्मी प्रत्याशी उतारे तो यहां से भाजपा की जीत रिकार्ड मतों से जीत की संभावना अधिक हो सकती है।
कुर्मी समुदाय के संगठनों ने विभिन्न राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक कुर्मी संगठनो की एक समन्वय समिति बनाने का निर्णय लेते हुए कहा कि 1994 की कुर्मी चेतना रैली की सिल्वर जुबली पर 12 फरवरी को पटना के गांधी मैदान में पुनः एक ऐतिहासिक रैली का आयोजन किया जाएगा।
पटना साहिब पहले पटना लोकसभा क्षेत्र के नाम से जाना जाता था ।पटना लोकसभा के पहले सांसद सारंगधर सिन्हा 1962 में निर्वाचित हुए थे। 1962 में कांग्रेस के रामदुलारी सिन्हा के अलावा तीन बार भाकपा के रामवातर शास्त्री सांसद रहे।
1977 में यहां से लोकदल के महामाया प्रसाद सिन्हा रिकॉर्ड 77 प्रतिशत मतों से चुनाव जीते थे। कांग्रेस से सीपी ठाकुर एक बार तथा भाजपा से दो बार सांसद रहे। भाजपा के शैलेन्द्र नाथ श्रीवास्तव एक बार तथा राजद के रामकृपाल यादव तीन बार सांसद रह चुके हैं।
फिलहाल रामकृपाल यादव अभी भी पटना लोकसभा सीट से भाजपा के सांसद है। परिसीमन के बाद अस्तित्व में आएं पटना साहिब सीट पर भाजपा के सांसद शत्रुहन सिन्हा का कब्जा है।
लेकिन इस बार सियासी समीकरण पटना साहिब सीट के लिए बदला दिखाई दे रहा है। सांसद शत्रुहन सिन्हा अपने ही पार्टी के बागी बने हुए हैं। ऐसे में भाजपा के सामने उनका टिकट काटने के सिवा कोई विकल्प नहीं बचा है।
भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती बिहारी बाबू के बाद उम्मीदवार चयन का है। ऐसे में माथापच्ची करने से बचने के लिए भाजपा यह सीट अपने सहयोगी जदयू को देने की सोच रही है।
पटना साहिब सीट पर कुर्मी समाज का प्रत्याशी उतारने की नालंदा से उठी मांग को बीजेपी के लिए आने वाले चुनाव के लिए एक शुभ संकेत माना जा सकता है। कुर्मी समाज का परंपरागत वोट फिलहाल जदयू के पास है।
आने वाले समय में अगर बीजेपी इस समाज के नेताओं की भागीदारी देने में सफल रही तो निःसंदेह कुर्मी समाज का रूझान बीजेपी की ओर बढ़ेगा। इस समाज का मत प्रतिशत का लाभ भी पार्टी को मिल सकता है।
बहरहाल, राजनीतिक में कुछ भी असंभव नहीं है। आने वाले लोकसभा चुनाव में पटना साहिब लोकसभा सीट को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों में उठापटक से इंकार नहीं किया जा सकता है।