प्राप्त जानकारी के अनुसार कतरीसराय, हरनौत चंडी, हिलसा, थरथरी, गिरियक, नालंदा, पावापुरी आदि क्षेत्रों में कई नियोजित मास्टर ऐसे हैं, जो खुले तौर पर जाने-माने अखबारों में नियमित रिपोर्टिंग करते हैं। आलावे कई ऐसे नियोजित मास्टर हैं, किसके लिये करते हैं, यह तो ज्ञात नहीं होता है, लेकिन वे अपने दो पहिया-चार पहिया नीजि वाहनों में प्रेस लिख खूब फांकी मारते हैं।
गंभीर बात है कि ऐसे शिक्षक स्कूलों मे न के बराबर ही पठन-पाठन करते हैं। उनकी उपस्थिति की कोई सुध नहीं लेता। चूकि उनके प्रेस के कथित रौब से प्रखंडो के बीईओ और उनके कार्यालय बाआरसी के लोग भयभीत रहते हैं, एतएव उन्हें कोई टोका-टाकी भी नहीं करता।
आश्चर्य है कि तथाकथित ऐसे रिपोर्टर प्रखंड-अनुमंडल-जिला स्तर के प्रशासनिक आयोजनों-बैठकों में स्कूल टाइम में ही शामिल देखे जाते हैं। इसे लेकर पंचायत प्रतिनिधि भी कोई शिकायत कर पंगा लेने का जोखिम नहीं उठाते। क्योंकि प्रायः वे दूध तो दूर पानी के धुले भी नहीं होते।
बहरहाल, जिला प्रशासन को चाहिये कि ऐसे नियोजित शिक्षकों की अपने स्तर से पड़ताल कर कड़ी कार्रवाई करे तथा अखबार प्रबंधन या उसके जिम्मेवार लोगों को भी चाहिये कि ऐसे लोगों को प्राथमिकता न दे।
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