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    Friday, November 22, 2024
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      नालंदा में डबल मर्डरः सूचना के बाबजूद पुलिस ने कुख्यात को नहीं पकड़ा !

      सोमवार की शाम संजीव सिंह गांव आया था। इसकी सूचना पुलिस को दी गई थी। लेकिन पुलिस ने 22 वर्षों से बिहारशरीफ कोर्ट से फरार संजीव सिंह को गिरफ्तार करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की। मंगलवार को संजीव सिंह और उनके चाचा दीक्षा सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई……” 

      नालंदा (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। नालंदा जिले में राजगीर थाना के धर्मपुरा गांव में मंगलवार को चाचा-भतीजा की हत्या के बाद सन्नाटा पसर गया है। गांव के अधिकांश पुरुष गांव छोड़कर फरार हो गए हैं। खून के बदले खून से अदावत का बदला लेने की चर्चा है।

      इस संबंध में राजगीर थाने में 10 ग्रामीणों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की गई है। पुलिस के अनुसार इस कांड में अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस द्वारा छापामारी की जा रही है।

      पुलिस के अनुसार धर्मपुरा गांव के दीक्षा सिंह ( 65 वर्ष)  और उनके भतीजे संजीव सिंह  ( 38 वर्ष)  की उनके घर के पास ही सरेशाम गोली मारकर हत्या कर दी गई है।

      संजीव सिंह नालंदा मंडल कारा से फरार हत्याकांड का अभियुक्त था। जबकि दीक्षा सिंह जेल से 20 वर्षा सजा काटकर पिछले मार्च में गाँव आये थे। 

      RAJGIR DUBLE MURDER 1ग्रामीण बताते हैं कि 6 जून 1996 को मृतक दीक्षा सिंह और उनका भतीजा संजीव सिंह उर्फ जिप्पा धर्मपुरा गांव के ही बृजनंदन सिंह  (65 वर्ष) अनुग्रह सिंह (60 वर्ष) और राम रतन सिंह (40 वर्ष) पिता स्वर्गीय राम लखन सिंह सभी सहोदर भाई की हत्याकांड का मुख्य आरोपी था।

      इस कांड में दीक्षा सिंह 20 बरसा जेल काटकर करीब डेढ़ साल पहले गांव लौटे थे। उनका भतीजा संजीव सिंह इस कांड में आरोपी था। वह कोर्ट  हाजिरी देने के दौरान बिहारशरीफ कोर्ट से फरार हो गया था।

      बताया जाता है कि लंबे समय तक जेल से फरार रहने के बाद भी पुलिस द्वारा उसके गिरफ्तारी के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई थी।

      जेल से फरार संजीव छठ के मौके पर सोमवार को अपना गांव धर्मपुरा आया था। उसके गांव आने की सूचना पुलिस को दी गई थी। लेकिन पुलिस के द्वारा उसकी गिरफ्तारी नहीं की गई।

      जानकर बताते हैं कि संजीव सिंह की गिरफ्तारी हो जाती तो शायद उनकी हत्या नहीं होती। बताया जाता है कि जिनके तीन भाइयों की पहले हत्या हुई थी। उन्हें आशंका थी कि संजीव उनके परिवार के बचे तीन भाइयों की हत्या कर सकता है। इसी शंका-आशंका और पुरानी अदावत को लेकर संभवतः यह घटना घटी है।

      बताया जाता है कि दीक्षा सिंह के घर में छठ व्रत हो रहा था। उनके घर से सूर्य षष्ठी का अर्घ्य देने के लिए डलिया  दौरा) सजा था।  घर से लोग डलिया लेकर निकलने वाले ही थे। उसके पहले दीक्षा सिंह और उनका भतीजा संजीव सिंह आगे निकले।

      इसी दौरान पहले से घात लगाए अपराधियों ने गोलियों से छलनी कर चाचा – भतीजा  हत्या कर दी। मौके पर ही दोनों चाचा-भतीजा की मौत हो गई।

      जानकार बताते हैं कि दीक्षा सिंह के परिवार के अन्य सदस्य मौके पर होते तो और बड़ी घटना हो सकती थी, इससे  इन्कार नहीं की जा सकती है।

      राजगीर थानाध्यक्ष संतोष कुमार के अनुसार घटना का कारण पुरानी रंजिश और भूमि विवाद है। महज दो-तीन कट्ठे गैरमजरुआ जमीन को कब्जा करने के लिए दीक्षा सिंह और विजय सिंह के बीच अदावत चल रही है।

      उसी अदावत का परिणाम है कि 1996 में विजय सिंह के छह भाइयों में से तीन भाइयों की गोली मारकर निर्मम हत्या कर दिया गया था।

      ग्रामीण सूत्रों के अनुसार  गांव से पूरव  32 बीघे का एक गैरमजरुआ प्लॉट है। इसी प्लॉट के तीन- चार कट्ठे जमीन पर कब्जा जमाने के लिए दोनों पक्ष के लोग हुकुमनामा बना लिए थे। इसी हुकुमनाम और कब्जे को लेकर दोनों पक्ष में लंबे समय से अदावत चल रही थी।

      उसी अदावत को लेकर 1996 में गांव के ही बृजनंदन सिंह, अनुग्रह सिंह, राम रतन सिंह तीनों सहोदर भाई की हत्या कर दी गई थी। उस हत्याकांड के मुख्य  आरोपी दीक्षा सिंह और संजीव सिंह थे। 

      कोर्ट  हाजिरी के दौरान और बिहारशरीफ कोर्ट से संजीव सिंह पुलिस को चकमा देकर भाग गया था। तब से वह फरार चल रहा था। ग्रामीणों और पुलिस के अनुसार सोमवार की शाम फरार संजीव सिंह  गांव  आया था। इसकी सूचना पुलिस को दी गई थी। लेकिन पुलिस ने फरार संजीव सिंह को गिरफ्तार करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की। 

      मंगलवार को जेल से फरार संजीव सिंह और उनके चाचा दीक्षा सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस घटना के बाद गांव में दहशत बढ़ गई है।

      घटना के बाद ही ठाकुरबारी घाट पर अर्घ्य देने के लिए जाने का लुक साहस नहीं जुटा पाए। तब गांव के कुएं पर ही करीब 20 घर के छठ व्रतियों उगते  और डूबते सूर्य को अर्घ्य दान किया है।  

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