एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। नालंदा. जी हां नालंदा. सीएम नीतीश कुमार का नालंदा.यहां कुछ भी संभव है. यहां नियम, कायदा, कानून और नैतिकता कोई मायने नहीं रखते. कल नगरनौसा प्रखंड प्रमुख-उप प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर यह टिप्पणी लिखी गई तो कथित सुशासन के ढिढोंरे पीटने वाले बहुत ‘बाबूओं’ को मिर्ची लगी।
लेकिन आज एक्सपर्ट मीडिया न्यूज के पास एक ऐसी दस्तावेज हाथ लगी है, जो काफी हैरान कर देने वाली है। यह खुलासा असैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, नालंदा जिला कार्यालय से जुड़ा है।
क्या प्रायः हर जगह प्रायवेट क्लिलिक चलाने वाले सरकारी चिकित्सकों का इस तरह से स्थानान्तरण और पदास्थापन संभव है कि उसे एक तिथि को उसे उसी अस्पताल से स्थानान्तरित कर उसी अस्पताल में पदास्थापित कर दिया जाये। वह भी सिर्फ इस कुमंशा से कि चिकित्सक यह साबित कर सके कि वे लंबे अरसे से एक ही स्थान पर पदास्थापित नहीं है, ताकि उसका मोटी कमाई का जमा-जमाया प्रायवेट लूट का क्लीनिक चलती रहे।
उपलब्ध दस्तावेज के अनुसार स्वास्थ्य विभागीय संकल्प संख्या-1464 (2) दिनांकः 22.06.2008 के आलोक में जिला अंतर्गत मूल कोटि के चिकित्सकों का स्थानान्तरण/पदास्थापन हेतु सिविल सर्जन की अध्यक्षता में दिनांकः 14.08.2009 को आहुत जिला स्थापना समिति की बैठक में लिये गये निर्णय के आलोक में कुल 26 चिकित्सकों को स्थानान्तरित की गई और यह निर्देश दिया गया कि योगदान की तिथि से उनके नाम के सम्मुख स्वास्थ्य संस्थान पदास्थापित की जाती है।
लेकिन इस स्थानान्तरण-पदास्थापन में घोर-मठ्ठा या कहिये विशुद्ध फर्जीवाड़ा, इक्का-दुक्का चिकित्सक को छोड़कर सभी चिकित्कों को उसी दिन उसी अस्पताल में उसी पद पर विराज दिया गया। ऐसे ही फर्जीवाड़े के सहारे एक ही चिकित्सक एक स्थान पर 10-15 सालों से उपर जमे रहते हैं और समूची सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था को ध्वस्त रखते हैं ताकि, उनकी ईलाज का काला कारोबार बेरोकटोक चलती रहे।