“शहर में सबसे बड़ी समस्या थी जलापूर्ति की थी । पूर्व में नगरवासियों को पेयजल के लिए सड़को पर उतरना पड़ता था। वर्तमान समय में आधे से अधिक यह समस्या खत्म हो चुकी है। यह सब संभव हुआ है बिहारशरीफ नगर आयुक्त कौशल कुमार के प्रयास भगीरथी प्रयास से ।”
और यह सब हुआ है नगर आयुक्त कौशल कुमार के प्रयास से वर्ष 2014-15 में 24 करोड़ 49 लाख की स्वीकृति मिली थी। उसके बाद 2017-18 में 93 करोड़ 28 लाख, उसके पहले 2016-17 में 74 करोड़ 74 लाख रुपए की राशि स्वीकृत की गई, जिसका मामला उच्च न्यायालय में फंसा है।
बता दें कि शहर में सबसे बड़ी समस्या थी जलापूर्ति की थी पूर्व में नगरवासियों को पेय जल के लिए सड़को पर उतरना पड़ता था। जो वर्तमान समय में आधे से अधिक खत्म हो चुकी है।
इन इलाकों में जल की समस्या का निदान किया जा चुका है जबकि लहरी मोहल्ला मथुरिया मोहल्ला पेयजल की समस्या को अनुग्रह नारायण पार्क के बोरिंग और लहरी मोहल्ला के टावर बोरिंग से पूर्ति कर दी गई है ।
मंसूर नगर का इलाका भी जल की समस्याओं से जूझ रहा था, जिसका निदान श्रृंगार हाट में बोरिंग कर और हिरण्य पर्वत पर बने टंकी को चालू करने के बाद खत्म किया जा सका है ।
वर्ष 2014-15 में 24 करोड़ 59 लाख की राशि स्वीकृत की गई, जिसके तहत शहर के 16 वार्डों को लिया गया था। जिसमें चार टावर 8 ट्यूबवेल 35 किलोमीटर पाइपलाइन का विस्तारीकरण 4000 घरों में वाटर का कनेक्शन किया गया है।
इसके अलावा एक लाख से अधिक आबादी होने पर बिहारशरीफ शहर को केंद्र सरकार की एवं एएमआरयूटी के तहत जोड़ा गया। जिसमें मुख्य रुप से नगर आयुक्त के द्वारा जलापूर्ति के लिए प्रारूप बनाया गए इस योजना के तहत वर्ष 16 -17 में 74 करोड़ 74 लाख रुपए की स्वीकृति प्रदान की गई।
वर्ष 2017-18 में 93 करोड़ 28 लाख की राशि पुनः मिली जिसमें शेष बचे 15 वार्डों में जलापूर्ति के लिए डीपीआर तैयार किया जा रहा है।
नगर परिषद के इतिहास में यह पहला मौका है कि जब केवल जल आपूर्ति के लिए राज्य और केंद्र सरकार द्वारा इतनी बड़ी राशि प्रदान की गई है।
हालांकि ऐसी बात नहीं है कि शहर में केवल पेय जल की ही समस्या से नगर वासी जूझ रहे थे। इसके आलावा शहर का सौंदर्यी करण नाले का निर्माण शामिल है। अगले चरण में बचे समस्याओं के निदान के लिए नगर निगम के द्वारा योजनाए बनाई जा रही है।