“नालंदा जिला सुशासन बाबू यानि सीएम नीतीश कुमार का गृह जिला माना जाता है। लेकिन यहां उनके चहेते अफसरों ने पूरी व्यवस्था को मजाक बना दिया है। सबाल उठाने पर आला अफसर भी सब थोथी दलील पर उतर आते हैं…….”
नालंदा (दीपक विश्वकर्मा)। चमकी बुखार को लेकर जहाँ पूरे सूबे के सभी सरकारी अस्पतालों को अलर्ट कर परिजनों को सारी सुविधा निःशुल्क दी जा रही है। वहीं मुख्यमंत्री नीतीश के गृह जिले में एक बार फिर सदर अस्पताल प्रबंधन की बड़ी लापरवाही सामने आई है।
जहाँ सात साल के बेटे की मौत के बाद शव को पिता कंधे पर ले जाने को मजबूर दिखे। अस्पताल परिसर में मृत बच्चे को कंधे पर लेकर बच्चे के पिता काफी देर तक इधर से उधर धूमते रहे, मगर जिम्मेदारी अधिकारी या कर्मियों के से किसी की भी नजर इस पर नही पड़ी।
अंततः थकहार कर लाचार पिता किसी को कुछ बोले अस्पताल से लेकर निकल गए। जबकि सदर अस्पताल को सरकारी शव वाहन उपलब्ध कराए गए है। उस पर तैनात कर्मियों का यही काम होता है कि परिजन से पूछ कर शव वाहन उपलब्ध करवा देना।
दरअसल यह बालक परबलपुर थानां इलाके के सीता बिगहा निवासी सागर कुमार है। परिजनों ने बताया कि वह सुबह साइकिल चला कर घर आया इसके बाद वेहोश होकर गिर गया।
इसके बाद उसे एक निजी किलनिक में ले गए जहाँ चिकित्सक ने सदर अस्पताल रेफर कर दिया। यहाँ लाने पर चिकित्सक ने मृत घोषित कर दिया।
इधर नालंदा के जिलाधिकारी योगेंद्र सिंह ने इस मामले को गंभीरता पूर्वक लेते हुए जाँच के आदेश दिए हैं।
डीएम का कहना है इस कि इस मामले में अस्पताल कर्मियों का कहना है कि बच्चे के परिजन को वाहन उपलब्ध कराने की बात कही गयी थी, चुकि वाहन वर्तमान में अस्पताल में मौजूद नहीं था। उन्हें रुकने के लिए कहा गया मगर वे रुके नहीं और शव को लेकर चले गए।
वहीं अस्पताल उपाधीक्षक डॉ राम कुमार की दलील है कि बच्चे की मौत अस्पताल लाने के पहले ही हो चुकी थी और जल्दी में बच्चे का शव लेकर चले गए।
मामला चाहे जो भी, मगर सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लाख दावे कर लें मगर आज भी सिस्टम लचर दिख रही है।