Home देश जर्जर स्कूल भवन के कारण ईमली के पेड़ के नीचे यूं पढ़ते...

जर्जर स्कूल भवन के कारण ईमली के पेड़ के नीचे यूं पढ़ते है 140 बच्चें

school cruption 1
स्कूल की प्रधानाध्यापिका ममता कुमारी…..

एक्सपर्ट मीडिया न्यूज / रामकुमार वर्मा । वेशक नालंदा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा व्यवस्था की हालत कहीं-कहीं काफी काफी दयनीय देखने को मिलती है। समझ में नहीं आता है कि विभागीय लाव-लष्कर और उसके करींदे किस खोल में बैठ कर क्या करते हैं। लाखों करोड़ों की विकास योजनाएं लुटने-लूटाने वाले विधायक, सांसद की बात छोड़ भी दें तो पंचायत प्रतिनिधियों पर शर्म महसूस होती है।

बरामद का जर्जर ढलाई-प्लास्टर……..
बारिस होने पर जर्जर कमरे बैठे बच्चे….जो कभी भी हो सकते हैंं हादसे के शिकार….

इस्लामपुर इस सचित्र एक रिपोर्ट को देखिये। जोकि स्थानीय बाजार मुर्गीयाचक प्रथमिक विद्यालय की है। इस विद्यालय की हालत विभागीय भ्रष्टाचार और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता की साफ स्पष्ट करती है।

स्कूल की प्रधानाध्यापिका ममता कुमारी बताती है कि इस स्कूल में कुल 140 बच्चे अध्ययन करते हैं। स्कूल में बच्चों के बैठने के लिये कोई उपष्कर नहीं है। यहां शिक्षक का एक पद भी रिक्त है।

विद्यालय भवन पूर्णतः जर्जर हो चुका है। कमरों और बरामदों का ढलाई-प्लास्टर टूट कर गिरते रहता है। बच्चों के साथ कोई अनहोनी न हो, इसलिये उसे परिसर के ईमली के  पेड़ के नीचे साथ बैठाकर पठन-पाठन का कार्य करते हैं। बच्चे बरसात की गीली मिट्टी पर ही बोरा-चटई बिछा कर पढ़ने को विवश है। लाख शिकायत के बाबजूद यहां सुनने वाला कोई नजर नहीं आता है।

स्कूल परिसर में ईमली के पेड़ के नीचे भींगी जमीन पर बोरा चटई पर बैठे बच्चे और उसे पढ़ाते शिक्षक…….

विद्याल में मिड डे मिल भोजन भी जर्जर बरामदे में ही खुले तौर बनाई-खिलाई जाती है। जबकि इसकी जर्जरता से साफ प्रतीत होता है कि यहां कभी भी अप्रिय घटना घट सकती है।

गांव के समाजसेवी वीरेंद्र प्रसाद के अनुसार इस विद्यालय में वर्ष 1990 में दो कमरा समेत बरामदा का निर्माण हुआ था।

जाहिर है कि इसके निर्माण में भ्रष्टाचार के सींमेंट,बालू,छड़ आदि के अधिक इस्तेमाल किये गये। जिससे कि एक दशक बाद ही वह धाराशारी होने लगी और आज बच्चों के जीवन के लिये खतरा बन गई है।

ग्रामीण श्रवण कुमार सर्वेश कुमार आदि बताते हैं कि वे कई साल से इस स्कुल की दयनीय हालत को देख रहे है। कभी किसी ने इस स्कूल के कमरो की जर्जर हालत में सुधार की ओर ध्यान नहीं दिया है।

इसका खामियाजा स्कूल में पढने वाले बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। बरसात के समय बच्चो को शिक्षा ग्रहण करने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पडता है।

जर्जर छत के नीचे बरामदा ही है मिड डे मिल का किचेन……

इस बाबत प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी रघुनंदन चौधरी कहते हैं कि इस विद्यालय को लेकर जिला शिक्षा विभाग को सूचना देकर विधि व्यावस्था में सुधार करवाने का मांग किया जाएगा। ताकि बच्चों को स्कूल में पठन पाठन के कार्य में परेशानी न हो।

error: Content is protected !!
Exit mobile version