एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। झारखंड में भाजपा सरकार बनते ही ग्रामीण जलापूर्ति योजना नीर निर्मल परियोजना लागू की गई। इसके तहत शहरी और ग्रामीण लोगों को शुद्ध पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित की गई।
इस परियोजना के लिए सरकार ने खजाना भी खोला लेकिन चार साल बीत चुके हैं, क्या है, इस परियोजना का हाल।
यहां चार साल पहले लगभग 15 हजार लीटर क्षमता वाले जलापूर्ति योजना के माध्यम से करीब साढ़े तीन सौ ग्रामीणों को शुद्ध जलापूर्ति की व्यवस्था की गई।
लगभग 26 लाख 60 हजार की लागत से बना यह जलापूर्ति परियोजना 26 दिन भी नहीं चला और ठप्प हो गया। आलम यह है कि लाखों की परियोजना अब तंगहालती में है।
ग्रामीण शिकायतें करते हैं, लेकिन इंजिनियर आते हैं और खानापूर्ति कर जल्द शुरू करने की बात कर चले जाते हैं।
सरायकेला प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी से जब इस बावत जानकारी ली गई तो उन्होंने कहा इसकी जानकारी उन्हें नहीं है।
हालांकि हमारी पड़ताल के बाद उन्होंने इसकी जांच कराने की बात कही है। वैसे जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर ग्रामीण आज पानी के लिए तरह रहे हैं।
वह भी इतनी बड़ी परियोजना धरातल पर उतरने के बाद तो निश्चित तौर पर हम कह सकते हैं कि इस पिरियोजना में व्यापक पैमाने पर लूट और खानापूर्ति हुई है।
ऐसे में सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना सरकारी उदासीनता के कारण जमीन पर उतरने से पहले ही दम तोड़ती नजर आ रही है।