“यहाँ तक कि सीएम नीतीश के घर-जेवार की शिक्षा की हालत को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि अन्य जगहों की शिक्षा व्यवस्था क्या होगी….”
पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार में शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल है। कहने को तो सरकार शिक्षा व्यवस्था की बेहतरी के दावे करती है। लेकिन हकीकत इससे विपरीत है।
बिहार के सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था का हाल देखकर 90 की स्थिति याद आ जाती है। कहीं स्कूल है तो शिक्षक नहीं शिक्षक है तो छात्र नहीं।
बिहार में शिक्षा व्यवस्था को शर्मसार कर देने वाली एक तस्वीर सीएम के गाँव जेवार से मिल रही है। जहाँ ज्ञान के सूअरखाने को स्कूल कहा जाता है।
कहीं देखा है एक ऐसा स्कूल जहाँ बच्चे उपस्थित चार,14 शिक्षक और 24 सूअर। नालंदा डीईओ के निरीक्षण में यही सब पाया गया। स्कूल की हालत देखकर डीईओ भी आश्चर्यचकित रह गए। बिहार की शिक्षा व्यवस्था का पोल खोलता यह स्कूल है हरनौत प्रखंड की ह्दय स्थली हाई स्कूल हरनौत।
शुक्रवार को नालंदा डीईओ मनोज कुमार हरनौत हाईस्कूल का औचक निरीक्षण किया। उनके औचक निरीक्षण में 1600 छात्र वाले इस स्कूल में महज छह बच्चे उपस्थित मिले। जबकि 24 शिक्षकों की जगह 14 उपस्थित पाएँ गए। वे भी डीईओ के स्कूल आने की औचक खबर सुनकर।
डीईओ के औचक निरीक्षण में एक सहायक शिक्षिका बच्चों की क्लास ले रही थी। उधर डीईओ प्रभारी एचएम सहित सभी उपस्थित शिक्षकों की जमकर क्लास ली।डीईओ ने देर से स्कूल आने वाले कई शिक्षकों को हाजिरी बनाने से रोक दिया।
डीईओ मनोज कुमार ने सभी को चेतावनी देते हुए कहा कि स्कूल में शिक्षा व्यवस्था नहीं सुधरी तो सभी शिक्षकों पर कार्रवाई की जाएगी ।
डीईओ के औचक निरीक्षण के दौरान हाईस्कूल हरनौत के परिसर में सूअरों का जमावड़ा भी दिखा। कई मीडिया कर्मियों ने सूअरों की भी गिनती कर ली। स्कूल में जितने शिक्षक हैं, उतनी ही संख्या सूअरों की भी थी।
यहां तक कि स्कूल में जहाँ तहां गंदगी पसरी थी। डीईओ ने कहा कि स्कूल परिसर से सूअरों को निकाला जाए, नहीं तो अगली बार निरीक्षण में यह सब पाएँ जाने पर किसी को बख्शा नहीं जाएगा।
इधर चंडी प्रदेश प्रखंड के आरटीआई एक्टिविस्ट उपेन्द्र प्रसाद सिंह ने कहा कि बिहार में स्कूलों की यही स्थिति है। अकेले नालंदा में 80 ऐसे सरकारी स्कूल है। जहाँ बच्चों की संख्या काफी कम है। ऐसे स्कूलों को बंद कर नजदीक के स्कूलों में बच्चों को नामांकित किया जाए।
उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि शिक्षकों को भी उन स्कूलों में सामंजस्य कर दिया जाए जहाँ छात्र ज्यादा और शिक्षक कम है। ऐसे पढ़ेंगे छात्र तो कैसे बढ़ेगा बिहार।