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काली कमाई से अलग कार्रवाई पर नालंदा में थाना सीमा विवाद आम बात

अपराध और कमाई की जब बात होती है तो कोई सीमा रेखा आड़े नहीं आती, लेकिन  मामला जब अपराध और कार्रवाई की आती है तो पुलिस के निकम्मे थानाध्यक्ष मूल दायित्व छोड़ एक-दूसरे पर फेंका-फेंकी करने में जुट जाते हैं। नालंदा जिले में यह आम बात हो गई है। कुशल नेतृत्व की कमी से यह समस्या दिन व दिन गंभीर होती जा रही है”…..

एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। नालंदा जिला मुख्यालय बिहार शरीफ में करीब 25 लाख रपये से भरे एटीएम मशीन उखाड़ कर लूटेरे चंपत हो गये। आम जनों ने इसकी सूचना पुलिस थाना को दी गई, लेकिन लहेरी, बिहार और दीपनगर थाना प्रभारी एक दूसरे के सीमा क्षेत्र को लेकर उलझते रहे। जबकि पहाड़पुरा स्थित जिस कारगिल बस स्टैंड चौक के पास बैंक ऑफ इंडिया की एटीएम मशीन उखाड़ ले भागे, वहां तीनों थाना की पेट्रोलिंग पार्टी रात को वसूली में लगी रहती है।NALANDA ATM CRIME1

वारदात के ठीक बाद दीपनगर थाना प्रभारी धर्मेन्द्र कुमार के कहना था कि मामला उनके थाना क्षेत्र का नहीं है। वरीय अधिकारियों का जो निर्देश होगा, उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी। अभी तक बैंक अधिकारियों ने इस संबंध में कोई आवेदन नहीं दिया गया है।

बिहार थाना प्रभारी केशव कुमार मजूमदार का कहना था कि अम्बेर मोड़ के पास हुई घटना की छानबीन की जा रही है। आवेदन मिलने के बाद प्राथमिकी दर्ज की जायेगी।

लहेरी थाना प्रभारी संतोष कुमार का रवैया भी  दोनों थानाध्यक्ष से इतर नहीं रहा। हालांकि खबरों के मुताबिक डीएसपी इमरान परवेज कारगिल चौक की घटना को दीपनगर थाना क्षेत्रान्तर्गत होने की पुष्टि की है।

सबाल उठता है कि घटनास्थल किसी थाना क्षेत्र की हो, खासकर जब वह सीमा क्षेत्र पर है तो तीनों थाना क्षेत्र की पुलिस का ध्यान अपराध और अपराधियों पर होनी चाहिये था, न कि उन्हें सीमा विवाद में उलझने चाहिये।

खासकर दीपनगर थाना प्रभारी यह कहना कि, “वरीय अधिकारियों का जो निर्देश होगा, उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी। अभी तक बैंक अधिकारियों ने इस संबंध में कोई आवेदन नहीं दिया है”, बिल्कुल ही बेतुका और कर्तव्यहीन मानसिकता प्रदर्शित करती है।

दरअसल, नालंदा के प्रायः थानों में सत्तारुढ़ दल के नेताओं की पहुंच-पैरवी के बल जमाए जा रहे हैं। जिनके आकंलन से साफ है कि वरीय पुलिस पदाधिकारी भी उनके आगे बौने साबित हैं। दिखावे के लिये वे भी उन्हीं थाना प्रभारी के खिलाफ एक्शन लेते दिखाई देते हैं, जो कमजोर पकड़ वाले होते हैं। राजनीतिक संरक्षण प्राप्त अदद थाना प्रभारियों की दूम वरीय अफसर भी पोछते नजर आते हैं।

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