बेन (रामातार)। नालंदा जिले में खुले में शौच से मुक्ति के लिए एक तरफ जहां पूरा सरकारी महकमा जी जान से लगा है। वहीं, दूसरी तरफ बैंकों की मनमानी का आलम यह है कि जिन सुविधादाता ने लाभूकों को शौचालय निर्माण करा दी, उन्हें कई महीने बीत जाने के बाद भी प्रोत्साहन राशि का भुगतान नहीं किया गया है।
मामला बेन प्रखंड से संबंधित है। जिन लोगों का शौचालय सुविधादाता द्वारा बनवाया गया, उनके नामें प्रोत्साहन राशि का अन्तरण करने में बैंक मनमानी रवैया अपना रही है।
सुविधादाता सुबोध कुमार का कहना है कि राशि उपलब्ध कराये जाने के संबंध में बीडीओ बेन द्वारा अलग-अलग पत्रांक के तहत प्रखंड के मध्य बिहार ग्रामीण बैंक,एसबीआई बैंक को प्रेषित किया जा चुका है। इससे मालूम पड़ता है कि बैंक बीडीओ के आदेश व निर्देश को तरजीह नहीं दे पा रहा है।
इस संबंध में बीडीओ मो. फिरोज से संपर्क साध जानकारी लिये जाने पर बताया गया कि बैंक ओडीएफ मुक्ति में बाधक साबित हो रही है। जिसकी जानकारी वरीय पदाधिकारी को दे दी गयी है।
वहीं इस संबंध में मबिग्रा बैंक परवलपुर के शाखा प्रबंधक ने सुविधादाता को राशि की उपलब्धता से इंकार करते हुए लाभूकों को उपस्थित कराये जानें की बातें लिखी है।
सवाल यह भी है कि जिस लाभूक का शौचालय निर्माण सुविधादाता द्वारा कराया गया और लाभूक दिल्ली, पंजाब में रहकर मजदूरी करता हो, वैसे लोगों को सुविधादाता कहाँ ढूँढे।
मामला बेन प्रखंड के अरावाँ पंचायत के वार्ड संख्या 13 की है। सुविधादाता द्वारा 41 लोगों को शौचालय निर्माण कराया गया है तथा राशि के लिए कभी बैंक तो कभी प्रखंड कार्यालय की दौड़ लगाता फिर रहा है। सुविधादाता प्रखंड व बैंक के कारनामें को डीएम तक ले जानें के मूड में है।