राजगीर (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। नालंदा जिले के अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल राजगीर के प्राचीन मलमास मेला सैरात भूमि से भू-माफियाओं की काली नजर हटने का नाम नहीं ले रहा है।
हद तो तब हो गई, जब प्रमंडलीय आयुक्त के आदेश पर महज नौ महीने पूर्व ही जिस भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराया गया था, उस भूमि को एक बड़े प्रशासनिक अधिकारी के पिता उसे पुनः दिनदहाड़े अपने कब्जे में करना शुरु कर दिया।
बता दें कि राजगीर के बीचली कुआं निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट पुरुषोतम प्रसाद द्वारा दर्ज लोक शिकायत निवारण वाद संख्या-999990124121628208/1ए की सुनवाई के दौरान प्रमंडलीय आयुक्त सह प्रथम अपीलीय प्राधिकार आनंद किशोर ने राजगीर मलमास मेला सैरात भूमि को अतिक्रमण मुक्त करने का अंतरिम आदेश दिया था, उस आदेश के आलोक में स्थानीय प्रशासन द्वारा उक्त भूमि के एक बड़े हिस्से को अतिक्रमण मुक्त कर लिया था।
यह दीगर बात है कि उस अतिक्रमण मुक्ति अभियान में प्रशासन द्वारा कुछ बड़े भू-माफियाओं को यूं ही छोड़ दिया है और वे येन-क्रेन-प्रकेरेण आज भी यथावत है।
फिर भी उस समय एक बड़े प्रभावशाली माने जाने वाले अतिक्रमणकारी वैद्यनाथ प्रसाद की चंगुल से भूमि मुक्त कराने में सफल रही थी। यह अतिक्रमण खेसरा संख्या-5092 एवं खेसरा संख्या-5182 की भूमि से संबंधित था।
इधर पिछले कुछ दिनों से प्रशासन द्वारा अतिक्रमण मुक्त मलमास सैरात मेला की 80 डिसमिल जमीन पर बैधनाथ प्रसाद द्वारा अवैध रूप से दिन दहाड़े अधिकाधिक संख्या में मजदूर लगाकर युद्ध स्तर पर घेराबंदी किया जा रहा था।
इस घेराबंदी की सूचना मिलते ही समूचा राजगीर प्रशासन सकते में आ गई और आज 2 अप्रैल को आनन फानन में राजगीर नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी उपेंद्र कुमार सिन्हा, प्रखंड विकास पदाधिकारी आनंद मोहन, अंचलाधिकारी उमेश नरायन पर्वत, नगर प्रबंधक विनय कुमार रंजन, कनीय अभीयंता आन्नद कुमार एवं अन्य पदाधिकारियों ने पुलिस बल-कर्मी के सहारे मलमास मेला सैरात भूमि की दिनदहाड़े घेराबंदी कार्य को आकर रोका और करीबन तीन सौ फीट निर्माणाधीन लंबी दीवार को जेसीबी मशीन से तोड़ गिराया।
इसके बाद नगर पंचायत के अफसरों ने इस भुमि पर एक बोड लगाया, जिसमें स्पष्ट लिखा हुआ है, ‘सर्वसाधारण को सुचित किया जाता है कि यह जमीन सरकारी है। इस पर किसी तरह का कब्जा करना या खरीदना बेचना गैरकानूनी एवं दन्डनीय है।’
राजगीर डीसीएलआर प्रभात कुमार के अनुसार करीब 9 माह पूर्व प्रमंडलीय आयुक्त के आदेशानुसार इस लगभग 80 डिसमिल मलमास मेला सैरात भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराया गया था, जो वर्षों से राजगीर के बैधनाथ प्रसाद के द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर रखा था। जिसमें आम का बगीचा था।
इधर, बैधनाथ प्रसाद के द्वारा पुनः चोरी छिपे अवैध रूप घेराबंदी कर मलमास मेला सैरात भूमि को कब्जा कर रहे थे। इसकी सूचना मिलने पर अफसरों की एक टीम गठित कर फिर से अतिक्रमण मुक्त करा लिया गया।
हालांकि, इस अतिक्रमण मुक्ति को लेकर जिम्मेवार अफसरों पर कई सबाल भी खड़े करते हैं।
पिछली बार जब सरकारी खजाने से अतिक्रमण मुक्त कर लिया गया था तो फिर ऐसी नौबत क्यों आ गई? पिछली बार नोटिश जारी होने के बाबजूद अतिक्रमणकारियों ने खुद अतिक्रमण नहीं हटाये थे। प्रशासन को अपने खर्चे पर सब इंतजाम करने पड़े थे। कानूनन उन लोगों से अतिक्रमण हटाने के वसूले जाने चाहिये थे।
इस बार श्री वैद्यनाथ प्रसाद द्वारा जिस तरह से पुनः अतिक्रमण किये गये, उसे भी प्रशासन ने अपने खर्चे से हटाये। न तो कोई खर्च राशि वसूली गई और न ही कोई आवश्यक कानूनी कार्रवाई ही की गई है। जो कि समझ से परे है।