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एकता शक्ति फाउंडेशन की रसोई घर के इस प्रदुषण से महामारी का खतरा

स्वच्छ भारत, लोहिया स्वच्छ बिहार, निर्मल नालंदा… ना जाने कैसे-कैसे मिशन योजनाएं चलाई जा रही हो, लेकिन बात जब जमीनी हकीकत की होती है तो शासन-प्रशासन का दम फूलने लगता है।”

नगरनौसा ( एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। नालंदा जिले के नगरनौसा प्रखंड स्थित रामघाट महमदपुर में वर्षों से मानव संसाधन विकास विभाग द्वारा चयनित केन्द्रीयकृत रसोई घर संचालित हो रहा है।mdm plant ekta faundation open crime 2

राष्ट्रीय उच्च मार्ग-30ए किनारे भरी-पूरी आबादी के बीच एकता फाउंडेशन शक्ति फाउंडेशन की इस रसोई घर से जिले के तीन नगरनौसा, चंडी व थरथरी प्रखंड क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में मध्यान भोजन की सप्लाई की जाती है। इस दौरान काफी शिकायतें-मनमानी सामने आती रहती है।

लेकिन इस पर रोक लगाने की हिम्मत अभी तक स्थानीय स्तर के किसी भी विभागीय या प्रशासनिक अफसर ने नहीं जुटा सकी है।

इधर एकता शक्ति फाउंडेशन की इस रसोई घर ने एक बड़े ईलाके में एक नई समस्या पैदा कर दी है। वहीं स्थल के आसपास के किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उनकी फसलें प्रभावित हो रही है। यहां कभी भी महामारी फैल सकती है। एक बड़ा हादसा हो सकता है। आखिर इसकी जिम्मेवारी प्रशासनिक तौर पर किसकी है?  

इस रसोई घर का जहरीला कचरा-मलवा सीधे उस पईन में बहाया जाता रहा है, जिसके आगे-पीछे का निकास बंद है और उसकी सड़ांध के बीच लोगों को गुजरना दुश्वार है। एचएच-33 पर वाहनों से भी गुजरने वाले लोग इस दुर्गंध से अलबला उठते हैं। 

ऐसे तो सालो भर यहां नारकीय स्थिति बनी रहती है, लेकिन इस बार की हल्की वारिश में यह समस्या काफी गंभीर हो गया है।

अधिक जल फैलाव होने पर यह जहरीला पानी और कचरा एक बड़े ईलाके में फैल जायेगा। जो किसानों की फसलों को नष्ट तो करेगा ही, हजारों की आबादी के स्वास्थ्य को भी अपनी आगोश में ले लेगा।

जानकार बताते हैं कि फूड प्रोसेसिंग से जुड़े ऐसे गंभीर प्लांट को एक तो भारी आबादी के बीच होनी ही नहीं चाहिये। अगर लगाई भी जाती है तो उसके लिये अनेक मापदंड भी बनाये गये हैं। इस मामले में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की व्यवस्था बहुत जरुरी है। अन्यथा इस हाईटेक रसोई घर प्लांट से जिस तरह के जहरीले पदार्थ का उत्सर्जन होता है, वह काफी तेजी भूमि-जल को प्रभावित करता है।

जानकार कहते हैं कि कुछ वर्षों बाद यह जहर उपजाऊ भूमि को ही सिर्फ दूसित नहीं करता, अपितु उस पर होने वाली फसलों के अनाज को भी अपनी चपेट में ले लेता है। शनैः शनैः जहरीला पानी अपने अंदरुनी जलस्रोत में प्रवेश कर जाता है, जिसे किसी भी माध्यम से पीने में उपयोग करना खतरनाक बीमारियों को गले लगाना होता है।

सबाल उठता है कि एकता शक्ति फाउंडेशन की इस मनमानी की ओर शासन-प्रशासन के किसी अधिकारी का ध्यान क्यों नहीं जा रहा। क्या वे कोई बीमारी या महामारी फैलने के बाद एक बड़ी मौत का इंतजार कर रहे हैं, ताकि मेडकल कैंप लगाकर मीडिया में अपना चेहरा चमकाया जाए।

यह गंभीर स्थिति स्थानीय हरनौत विधायक हरिणारायन सिंह के पैत्रिक निवास स्थान के ठीक बगल में उत्पन्न है। उनकी अज्ञानता या चुप्पी का राज एक अलग राज का विषय है।  

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