“बिहार के नवादा के जिलाधिकारी कौशल कुमार की कुशलता को लेकर एक सनसनीखेज खुलासा सामने आया है। अब देखना है कि वे उल्टी गंगा बहाने में सफल हो पाते हैं कि नहीं।”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। नवादा जिले के हिसुआ प्रखंड के दोना पंचायतन्तर्गत डिहुरी गांव के वार्ड संख्या-4 आंगनबाड़ी केन्द्र संख्या-126 सेविका के चयन के जिस प्रकार के मामले सामने आये हैं, वो काफी चौंकाने वाले हैं। यह गांव अति पिछड़ा वर्ग बाहुल्य की श्रेणी में है।
यहां पचायत प्रतिनिधियों एवं ग्राम सभा की बैठक में स्व. अनुज प्रसाद की विधवा बेबी कुमारी का सर्वसम्मति से चयन किया गया। आंगनबाड़ी पर्यवेक्षिका की उपस्थिति में हुई इस बैठक के आधार पर हिसुआ बाल विकास परियोजना पदाधिकारी (सीडीपीओ) ने कुल 6 लोगों की सेविका के चयन हेतु औपबंधिक मेधा सूची प्रपत्र तैयार की।
इस सूची के अनुसार बेबी कुमारी सर्वाधिक अंक के साथ प्रथम स्थान पर है, लेकिन उसे नियुक्ति पत्र नहीं दी जा रही है। वह कार्यालयों के चक्कर लगाने को विवश है।
इस संबंध में एक्सपर्ट मीडिया न्यूज को हिसुआ सीडीपीओ पूजा किरण ने जो कुछ भी बताया वह काफी हैरान करने वाली है।
सीडीपीओ का कहना है कि उनके स्तर से कोई बिलंब नहीं किया गया है। उनकी प्रथमिकता है कि केन्द्र संख्या-126 पर सेविका की नियुक्ति नियमानुसार जल्द ही हो जाये, लेकिन नवादा जिलाधिकारी के निर्देश ने उन्हें सकते में डाल रखा है।
जिलाधिकारी का निर्देश है कि पहले औपबंधिक मेधा सूची प्रपत्र तैयार की जाये और फिर उसके बाद पंचायत प्रतिनिधि की ग्राम सभा बुलाकर उस पर आपत्ति ली जाये।
जबकि नियमावली कहती है कि ग्राम सभा की बैठक पहले होती है और बाद में उसके चयन प्रक्रिया पर जिला प्रशासन की ओर से एक समय सीमा के भीतर आपत्ति ली जाती है उसके बाद नियुक्ति प्रक्रिया पूरी हो जाती है।
सीडीपीओ खुद हैरान हैं कि जिलाधिकारी समूचे सूबे में लागू चयन प्रक्रिया से अलग खुद की नीजि नियमावली के तहत कैसे निर्देश दे रहे हैं और उस आलोक में किसी की नियुक्ति कैसे संभव है। खास कर उस परिस्थिति में जब किसी ने अब तक कोई आपत्ति दर्ज नही कराई हो। ग्राम सभा की बैठक के निर्णयों का कोई शिकायत भी किसी स्तर पर न मिला हो।
बहरहाल, हिसुआ सीडीपीओ की कथन और नवादा डीएम की मनमानी के बीच एक गरीब पढ़ी-लिखी विधवा पिस रही है। जबकि आंगबाड़ी सेविका-सहायिका की बहाली-नियुक्ति की अपनी स्पष्ट प्रक्रिया लागू है।