सिकिदिरी प्रोजेक्ट के घपलों-घोटालों से सब अपनी गर्दन बचाने में जुटे

    -मुकेश भारतीय-

    रांची। इन दिनों स्वरर्णरेखा जल विद्युत परियोजना सिकिदिरी से झारखंड बिजली बोर्ड तक का माहौल काफी गर्म है। इस गर्माहट में नीचे से उपर सब तप रहे हैं। एक तो पहले से घपलों-घोटालों की जारी सीबीआई जांच और दूसरी ओर अमर शहीद शेख भिखारी के वंशज कुटे निवासी शेख अनवर का 17 लाख के मौखिक आदेश के तहत किये गये कार्य का मामला।

    इस मामले को लेकर प्रबंधन स्तर पर कभी कुछ तो कभी कुछ कहा जाता रहा है। बकौल स्थानीय प्रबंधक अमर नायक, उन्होंने शेख अनवर मामले की कोई जानकारी नहीं होने और इस संदर्भ में कोई बात नहीं की है, जैसा कि खबर में जिक्र है। दूसरी तरफ सेवानिवृत पूर्व प्रबंधक वशीर अंसारी ने भी कोई बातचीत होने से इंकार कर दिया है।

    दरअसल, नेताओं की तरह अफसरों में भी नैतिकता का निरंतर पतन की यह ठोस निशानी है। अमर नायक परियोजना में उस समय कार्यपालक अभियंता थे, जब शेख अनवर द्वारा बोल्डर पिचींग का काम कराया जा रहा था। बाद में रांची चले गए और एक साल पहले वशीर अंसारी के सेवानिवृत होने बाद प्रबंधक पद का कार्यभार संभाला। कितनी हास्यास्पद तर्क है कि इस दौरान उन्हें उत्पादन ईकाई-2 परिसर के अंदर एक बड़े क्षेत्र में हुए कार्य की कोई जानकारी नहीं रही।

    इसके पहले भी उन्होंने मीडिया के सामने खुद के द्वारा भौतिक सत्यापन किये जाने की बात स्वीकार की है। इस मामले को लेकर आजसू  के आंदोलनकारियों से भी कहा कि उनके स्तर से 2.5 लाख से अधिक का भुगतान करना संभव नहीं हैं। उनकी मांगों से बोर्ड को अवगत करा दिया जाएगा।

    दूसरी तरफ सेवानिवृत प्रबंधक वशीर अंसारी खुद के बदलते बयान में फंसते जा रहे हैं। बिना निविदा के उन्होंने किस बिना पर संवेदक से 17 लाख रुपये के काम करा लिए। जबकि आपात अवस्था में भी उनके पास बिना निविदा या बोर्ड की स्वीकृति के 2 लाख रुपये से अधिक के कार्य के अधिकार नहीं थे।

    यह सच्चाई है कि संवेदक ने काम किया है। उस पर चोरी-छुपे काम करने का आरोप भी नहीं लगाया जा सकता। समूचे प्रबंधन, चाहे वह पूर्व हो या वर्तमान, उनकी आंख के सामने काम हुआ है। जब भुगतान की बात हुई तो सब अपनी गर्दन बचाने में जुट गए। मीडिया, संवेदक, आंदोलनकारी, समाजसेवी आदि से लेकर बोर्ड प्रबंधन तक को वे सब अपनी सुविधानुसार गुमराह कर रहे हैं। लेकिन बकरा की मां कब तक खैर मनाएगी। कभी न कभी भ्रष्टाचारियों  का पर्दाफाश और संवेदक को न्याय मिलनी तय है।

    “पूरा मामला भ्रष्टाचार का खुला खेल है। मामले की ऊंचस्तरीय जांच होनी चाहिए। अगर प्रवंधन को 2.5 लाख से अधिक के भुगतान का अधिकार नहीं था तो अभियंताओं की निगरानी में 17 लाख का काम कैसे हो गया। दोषियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई के साथ संवेदक शेख अनवर को न्याय  मिले, इसके लिए हमारी लड़ाई जारी रहेगी। “ …..राजेन्द्र शाही मुंडा, आंदोलनकारी वरिष्ठ आजसू नेता

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