“विडंबना यह है कि आज भी इन जनजातियों के साथ लोगों के बीच छुआछूत माना जा रहा है, जिनके समाज से 4 लोगों की ठंढ से मौत हुई है…..”
चाईबासा (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। झारखंड के कोल्हान में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। इधर कड़ाके की ठंड से कोल्हान में मौत का सिलसिला भी शुरू शुरू हो गया है, पूरे कोल्हान में ठंड से अब तक चार मौतें हो चुकी है।
दलमा पहाड की तराई में 8-10 पहाड़िया परिवार जंगल से लकड़ियां चुनकर जीवन जापन करते हैं। वहीं झारखंड सरकार की ओर से अब तक इन बस्तियों में कम्बल वितरण नहीं किया गया है।
इधर सरकारी उदासीनता के कारण आज भी ये आदिम जनजाति के लोगों का जीवन टूटे मकानों के सहारे चल रहा है।
सरकार की लपरवाही का आलम ये है कि स्वास्थ्य केंद्र के नजदीक आदिम जनजाति के लोग रहते हैं, और केंद्र रहने के बाबजूद कोई डॉ या एएनएम नहीं पहुंचते हैं। वैसे आज तक यह केंद्र खुला भी है, यह कोई बता नहीं सकता।
जबकि सिविल सर्जन की ओर से सख्त निर्देश है कि प्रति सप्ताह सबर, खड़िया और पहाड़रिया जनजाति के लोगो का स्वास्थ्य जांच हो, लेकिन अनुमंडल स्तर से कोई डॉ यहां नहीं पहुंचते हैं।