खबर है कि चंडी के जलालपुर गांव स्थित उत्क्रमित सरकारी मिडिल स्कूल में मेंढक डालने के आरोप में डीएम के निर्देश पर चंडी के शिक्षा पदाधिकारी बिंदु कुमारी ने चंडी थाना में उत्क्रमित मध्य विद्यालय जलालपुर के दो शिक्षकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है।
दर्ज प्राथमिकी में दोनों शिक्षकों पर भोजन में मेढक डालने और बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड़ करने तथा विधि व्यवस्था की समस्या उत्पन्न करने का आरोप लगाया गया है।
विदित हो कि कि 3 मई को चंडी के उत्क्रमित सरकारी मिडिल स्कूल जलालपुर में मिड डे मील में आई खिचड़ी में मृत मेंढक पाया गया था।
जिलाधिकारी ने जांच के लिए एक टीम भेजी थी। जांच के बाद डीएम के निर्देश पर जिला शिक्षा पदाधिकारी ने एचएम सुरेन्द्र प्रसाद ज्योति को तत्काल निलंबित कर दिया था तथा दोनों शिक्षकों पर भी स्पष्टीकरण भेजा गया।
बाद में डीएम ने हिलसा एसडीएम और जिला शिक्षा पदाधिकारी को जांच कर रिपोर्ट देने का आदेश दिया था। जिसके आलोक में अनुमंडल पदाधिकारी के 17 मई को सौंपी गई।
रिपोर्ट में बताया गया कि जलालापुर उत्क्रमित सरकारी मिडिल स्कूल के शिक्षक धर्मेंद्र कुमार और मंटू कुमार कुणाल के द्वारा भोजन में मेंढक डालने की सत्यता प्रमाणित होती है। मौके पर अधिकारी आने की सूचना के बाद भी दोनों शिक्षक स्कूल से निकल गए।
डीएम के निर्देश पर बीईओ बिंदु कुमारी ने चंडी थाना में शिक्षक धर्मेंद्र कुमार तथा मंटू कुमार कुणाल के खिलाफ साजिश के तहत मेंढक डालना, विधि व्यवस्था की समस्या उत्पन्न करना, छात्रों के जीवन के साथ खिलवाड़ करना तथा कार्य में बाधा पहुंचाने का केस दर्ज कराई है।
सबाल उठता है कि इस मामले के जांच कर्ताओं को ऐसे गवाह मिले हैं, जो आरोपी शिक्षकों को मिड डे मिल में मेढक डालते देखा हो। जहां तक लगता है कि आरोपी शिक्षकों को सच उजागर करने की सजा दी जा रही हो ताकि मिड डे मिल के गोखधंधे से जुड़े उस एनजीओ के प्रति शिक्षकों में खौफ पैदा किया जा सके।
यह बात किसी से छुपी हुई नहीं है कि मिड डे मिल से जुड़ी एकता शक्ति फाउंडेशन नामक एनजीओ का किचेन प्रोजेक्ट रामघाट में स्थानीय विधायक हरिणारायण सिंह की पैत्रिक भूमि पर निर्मित है। और वहीं से जिले के एक बड़े क्षेत्र में सरकारी स्कूली के बच्चों को मिड डे मिल सप्लाई किया जाता है। जिसके वगल में उनका आलीशान पैत्रिक घर भी है।
उक्त एनजीओ को सत्तारुढ़ जदयू के विधायक का खुला संरक्षण प्राप्त है। यह प्रोजेक्ट ही बना था, जब विधायक राज्य के शिक्षा मंत्री थे। जाहिर है कि उनके पद-प्रभाव में कोई अधिकारी एनजीओ के खिलाफ रिपोर्ट देने की हिमाकत नहीं कर सकता।
सबसे बडा सबाल कि एनजीओ द्वारा मिड डे मिल की टीफीन किसे सौंपता है। स्कूल के हेड मास्टर को, रसोईया को या फिर अन्य मास्टरों को ? उस भोजन की सुरक्षा की जवाबदेही किसी है?
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