एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। बिहार के सीएम नीतीश कुमार कहते हैं कि बिहार में सुशासन है। भ्रष्टाचार का स्कोप ही नहीं है। जीरो टॉलरेंस की बात करने वाले सीएम के जिले नालंदा के चंडी अंचल का गजब हाल है।
चंडी अंचल के कर्मचारी को चंडी की जनता ‘नम्बर वन भ्रष्टाचारी’ की उपाधि दे रखी है। चंडी अंचल के नाजिर को जब ‘सुविधा शुल्क’ की राशि नहीं मिली तो उसने जमीन नापी की जमा राशि को यह कहकर लौटवा दिया कि कागजात सही नहीं है। जबकि आवेदक ने जमीन नापी में जितने भी कागजात मांगे गया था। उसने सारी उपलब्ध करा दिया था।
चंडी अंचल के चंडी डीह निवासी नरेश प्रसाद ने बताया कि उनके पिता ने 1973 में एक जमीन खरीदी थी जिसका खसरा संख्या 457 तथा खाता संख्या 162 है। इसी जमीन से सटे जमीन पर अवैध तरीके से चंडी डीह के ही एक व्यक्ति ने निर्माण शुरू कर दिया है। विरोध करने पर उसका कहना है कि उक्त जमीन मेरी है।
इसकी सूचना चंडी अंचलाधिकारी को भी दी गई लेकिन उन्होंने अवैध निर्माण नहीं रूकवाया। जब शनिवार को जनता दरबार में आवेदन दिया गया तब थानाध्यक्ष ने काम रूकवा दिया है।
इधर जमीन नापी के लिए नाजिर के पास 22 सौ रूपये जमा कराया था। नाजिर ने मंगलवार को तीन बजे चिरकुट देने के लिए बुलाया था लेकिन जब वे अंचल कार्यालय पहुँचे तो नाजिर ने यह कहकर कि की आपका कागजात सही नहीं है, इसलिए नापी की प्रक्रिया नहीं हो सकती रूपये लौटा दिया। आवेदक का कहना है कि नाजिर सुविधा शुल्क चाह रहे थें लेकिन नहीं देने पर उन्होंने ऐसा किया।
यह कोई पहला ऐसा मौका नहीं है जब अंचल कार्यालय के कर्मचारी ने नापी को लेकर टालमटोल किया हो। इससे पहले एक हिंदी दैनिक के प्रतिनिधि को डेढ़ साल तक जमीन नापी के लिए सीओ और अंचल कर्मचारी टहलाते रहे बाद में थकहार कर उन्होंने लोक शिकायत में यह मामला दर्ज करा दिया।
लोगों का कहना है कि अंचल कार्यालय भ्रष्टाचार का अड्डा बना हुआ है।यहां संचालित आरटीईपीएस कार्यालय में सिर्फ पैसे का ही खेल होता है। पैसे देने पर कोई भी प्रमाण पत्र 24 घंटे में बन जाता है। पैसे नहीं देने पर टहलते रहिए।