लालू और उनके परिवार को मिली क्लीन चीट
विदित हो कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने 4 अप्रैल को मिट्टी घोटाले का गंभीर आरोप लालू प्रसाद और उनके परिवार पर लगाया था। उन्होंने कहा था कि चिड़ियाघर घर में जो भी मिट्टी खरीदी गई वो पटना के सगुना मोर के पास बन रहे माल के बेसमेंट से निकाली गई मिट्टी है। इसके लिए चिड़ियाघर ने कोई टेंडर नहीं निकाला। लेकिन 90 लाख रुपये की मिट्टी खरीद ली गई।
मोदी ने यह भी आरोप लगाया कि चिड़ियाघर प्रशासन राज्य पर्यावरण व फारेस्ट मिनिस्ट्री को रिपोर्ट करती है। जिसके हेड लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी यादव हैं। उन्होंने कहा कि मॉल जिस जमीन पर बन रहा है वो भी लालू प्रसाद के परिवार की ही है।
इस मामले में 6 अप्रैल को अंजनी कुमार सिंह ने वन एवं पर्यावरण विभाग से मिट्टी खरीद-फरोख्त के सभी दस्तावेजों को जांच के लिए मगाया था।
चीफ सेक्रेटरी अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि 9 लाख रुपये की मिट्टी खरीदी गई थी। न कि 90 लाख की। उन्होंने कहा कि चिड़ियाघर में मिट्टी भरने में कुल खर्च 41 लाख ही है।
चीफ सेक्रेटरी के अनुसार मिट्टी सप्लायर फर्म ने दावा किया है कि माल करीब 5 जगहों से आया है। आगे की सूचना के लिए वन विभाग को कहा गया है। यह भी निदेश दिया गया है कि मिट्टी घोटाले कि इंडिपेंडेंट जांच की जाए।
मुख्य सचिव ने दावा किया कि इस मामले में जंगल विभाग से जानकारी मांगी गई है। पटना हवाईअड्डा रनवे में बाधाओं को दूर करने के लिए बड़ी संख्या में पेड़ों को काट दिया गया था और कई पेड़ चिड़ियाघर में (2012 के बाद से) गिर गए हैं। इसके बाद, ताजे छोटे पौधे लगाए जा रहे हैं और चिड़ियाघर प्रशासन ने दावा किया है कि इसी उद्देश्य के लिए मिट्टी खरीदी गई थी।
इधर, सुशील मोदी ने अंजनी कुमार सिंह के दावों को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह तो स्वाभाविक है कि कोई भी चीफ सेक्रेटरी सरकार के खिलाफ रिपोर्ट नहीं दे सकता है। उन्होंने कहा कि यदि कोई भी अधिकारी को इसमें कोई घोटाला नजर नहीं आता है तो उन्हें चाहिए कि इससे जुड़े सभी दस्तावेजों को सार्वजनिक कर दें।
मोदी ने कहा कि चीफ सेक्रेटरी ने यह क्यों नहीं बताया कि आखिर बिना टेंडर निकाले मिट्टी खरीदने का निर्णय जू ने कैसे ले लिया ? उन्होंने कहा कि चीफ सेक्रेटरी ने यह भी नहीं बताया कि बिहार वन्यजीव संरक्षण फंडके लिए जो पैसे थे उसी से इस मिट्टी की खरीद क्यों की गई ? जबकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ निर्देश दिए थे कि इस पैसे को सिर्फ बिहार वन्यजीव संरक्षण के लिए ही इस्तेमाल करें।
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