“बिहार के सीएम नीतिश कुमार को गुमान है कि उनके राज्य में सुशासन है। पुलिस-प्रशासन के लोग ईमानदारी से काम कर रहे हैं। लेकिन स्थितियां विपरित है। ऐसे अनेक मामलों में एक सनसनीखेज मामला नवादा जिले के केवाली गांव निवासी सुधीर सिंह से जुड़ा सामने आया है। सुधीर ने वहां के कुशासन की शिकायत पीएम नरेन्द्र मोदी तक कर डाली है, लेकिन…..”
धनबाद (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार के नावादा जिले के कौवाकोल थानाअंतर्गत केवाली गांव निवासी सुधीर सिंह ने कौवाकोल थानाध्य्क्ष पर आरोपियों और षड्यंत्रकारियों से मिलकर उनको ही डराने और धमकाने का आरोप लगाया है।
ज्ञात हो कि 26/1/ 2018 को सुधीर सिंह के चाचा विशुनदेव सिंह कि संदेहात्मक परिस्थिति में मौत हो गई थी। सुधीर सिंह का आरोप है कि उनके भाई बालमुकुंद सिंह,भभु रेणु देवी, उनके ससुर सुरेश सिंह और विरोधी गोतिया ने मिलकर उनके चाचा की हत्या करा दी।
उन्होंने बताया कि जमीन विवाद, पुलिस प्रतारणा, जालसाजी कर उनके जमीन को हथियाने, झूठे मुकदमे में उन्हें फंसाने को लेकर 2007 से ही वह थाना पुलिस कोर्ट कचहरी का चक्कर काट रहे हैं, लेकिन आज तक न्याय नहीं मिला। बचपन से ही उनके परिवार को उनके गोतिया के द्वारा खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है, जिसके तहत षड्यंत्र कर उनके माँ, चाची, दादा जी, पिता जी,और अब मेरे चाचा की हत्या कर दी गयी।
इस आलोक में प्रधानमंत्री कार्यालय से मुख्य सचिव बिहार को जांच करने का आदेश दिया गया था, जिसे मुख्य सचिव ने लोक निवारण शिकायत पदाधिकारी विभाग गृह विभाग बिहार को भेज दिया गया। फिर उसे लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी गृह विभाग नवादा जिला को भेज दिया।
सुधीर सिंह ने बताया के जब वह लोक निवारण पदाधिकारी नवादा 9/7/2018 से मिले तो उन्होंने कहा कि वह इन सब की जांच नहीं करवा सकता और सभी पुराने मामले को डिस्पोजल करते हुए जांच करने से इनकार कर दिया।
वहीं चाचा की हत्या के मामले में जांच हेतु नवादा एसपी को पत्र भेज दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि थाना प्रभारी कौवाकोल ने टेबल से ही बैठकर बिना जांच किये आरोपियों से मिलकर गलत रिपोर्ट भेज दिया और उल्टा ही उन पर दबाव बनाते हुए और उन्हें डराने और धमकाने का प्रयास करने लगे।
सुधीर सिंह ने अपने और अपने परिवार की हत्या की आशंका जताते हुए कहा की वह इतने भयभीत हैं कि पूरे परिवार के साथ नवादा जिला छोड़कर के झारखंड के धनबाद जिले में शरण लिए हुए हैं। उनकी गांव पर जाने से रोक है। उन्हें डराया धमकाया जाता है।
उन्होंने आशंका जताई है कि कभी भी यह अपराधी और षड्यंत्र कारी उनके साथ भी कोई इस तरह की घटना कर सकते हैं। उनके और उनके पूरे परिवार को जान का खतरा बताते हुए उन्होंने कहा कि प्रश्नचिन्ह तब खड़ा हुवा जब चाचा की मौत की खबर तक उन्हें नहीं दी गयी।
गांव के लोग ने उन्हें खबर किया वो जब गांव पहुंचे तो उनके चाचा को मुखाअग्नि दे दी गयी थी। फिर श्राद्ध के कार्यक्रम में भी उन्हें शामिल नहीं होने दिया गया।
उन्होंने पुरे घटना पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि चाचा मंदबुद्धि के थे। मेरे चाचा की कोई संतान नही थी। 2013 में उनके संपत्ति को मेरे भाई ने षड्यंत्र कर हड़प लिया था।
उन्होंने प्रधानमंत्री जी से सभी मामलों की पुनः उच्च स्तरीय जांच कराने हेतु पत्र लिखने की बात कही। लेकिन बिहार में पटरी से उतरी सुशासन के नुमाइंदों ने सारे मामले को और भी उलझा कर रख दिया है।