“इस स्कूल में छात्रों और शिक्षकों की कमी नहीं है। कमी है तो केवल क्लास रूम की। स्कूल के पूरब और उत्तर दिशा में चाहर दीवारी नहीं है, जिसके कारण विद्यालय असुरक्षित सा प्रतीत होता है। इस विद्यालय में एक हॉस्टल भवन था जिसका वर्तमान में केवल ढाँचा है। उसकी दीवारें खड़ी है । लेकिन छत नहीं है । वह घास फूस और पेड़ पौधों से आच्छादित है ”
इस स्कूल का मुख्य भवन ध्वस्त हो गया। फलस्वरूप वह पढ़ाई के योग्य नहीं है । ध्वस्त होने के दसको बाद भी इस भवन को बनाने का प्रयास नहीं किया जा रहा है। इस विद्यालय में कुल तीन चापाकल हैं। इनमें एक चालू और दो खराब है।
यहां कृषि विभाग में 31 और मेडिकल लैब टेक्नीशियन में 21 छात्र नामांकित है । व्यावसायिक शिक्षा में अनुदेशक के 3 पद स्वीकृत हैं। इसके विरुद्ध एक अनुदेशक पदस्थापित है । इसी प्रकार प्रयोगशाला सहायक के 3 पद सृजित है । इसके विरुद्ध दो पदस्थापित है। रास बिहारी हाई स्कूल में सीनियर सेकेंडरी शिक्षा की भी व्यवस्था है । सीनियर सेकेंडरी में यहाँ 278 छात्र-छात्राएं नामाकित है। इन्हें पढ़ाने के लिए 8 शिक्षक पदस्थापित है। सीनियर सेकेंडरी में गणित ,हिंदी और अंग्रेजी के शिक्षक का पद रिक्त है।
प्रभारी हेड मास्टर प्रमोदानंद झा बताते हैं कि इस स्कूल में छात्रों और शिक्षकों की कमी नहीं है। कमी है तो केवल क्लास रूम की। वह बताते हैं कि स्कूल के पूरब और उत्तर दिशा में चाहर दीवारी नहीं है, जिसके कारण विद्यालय असुरक्षित सा प्रतीत होता है। उन्होंने बताया कि इस विद्यालय में एक हॉस्टल भवन था जिसका वर्तमान में केवल ढाँचा है। उसकी दीवारें खड़ी है । लेकिन छत नहीं है । वह घास फूस और पेड़ पौधों से आच्छादित है ।
उनकी माने तो विद्यालय के पूर्व हेडमास्टरों ने स्कूल के ध्वस्त बिल्डिंग को बनाने के लिए उच्चाधिकारियों के पास अनेकों बार पत्राचार किया है। लेकिन नतीजा शून्य से अधिक नहीं निकला है । वह कहते हैं कि छात्र हित में ध्वस्त बिल्डिंग का निर्माण निहायत जरूरी है । प्रभारी हेड मास्टर के अनुसार सीनियर सेकेंडरी स्कूल के बिल्डिंग में नौवीं और दसवीं कक्षा के छात्र छात्राओं को किसी तरह पढ़ाया जा रहा है।
“विद्यालय में भवन की कमी को दूर किया जाएगा। अकार्यरत भवनों की पहचान कर उसे तोड़ा जाएगा और उस स्थल पर नए भवन का निर्माण कराया जाएगा। फिलहाल इसके कंस्ट्रक्शन के लिए प्राक्लन तैयार नहीं किया गया है । विभाग इस मामले में गंभीर है ।”
डॉक्टर विमल ठाकुर, जिला शिक्षा पदाधिकारी , नालंदा