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प्रदेश जदयू छात्र नेता की आत्मा तलाश रही सीएम के घर में सुशासन

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छात्र राजनीति की उपज बिहार के सीएम नीतिश कुमार के गृह जिला-थाना नालंदा-हरनौत थाना क्षेत्र में उनकी ही पार्टी जदयू के छात्र ईकाई के प्रदेश महासचिव की अपहरण कर हत्या कर दी जाती है, उसके पूर्व पुलिस कार्रवाई में कोताही बरतती है और शव बरामद होने के बाद पार्टी का कोई बड़ा नेता, विधायक, सांसद इस मामले पर अपना मुंह नहीं खोलते।”

बिहारशरीफ (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। नालंदा के हरनौत से लापता  छात्र जदयू के प्रदेश महासचिव की लाश मिली है। उनकी निर्मम हत्या कर उनके शव को गड्डे में दफना दिया गया था। पुलिस ने बेना थाना क्षेत्र के अलीपुर में एक खेत से उनकी लाश बरामद की।

शव को देखकर बदमाशों की दरिंदगी का अंदाजा लगाया जा सकता है। उनके शरीर पर रस्सियां बंधी हुई थी। जहिर है कि उनकी निदर्यता से गला काटकर हत्या कर दी गई।

नालंदा के हरनौत प्रखंड के खरूआरा निवासी राकेश कुमार जो कि छात्र जदयू के प्रदेश महासचिव भी है। वे 29 मई से ही लापता थे। उनका मोबाइल भी बंद था। परिजन किसी अनहोनी की आशंका से त्रस्त थे।nalanda jdu leader murder 2

छात्र जदयू के प्रदेश महासचिव राकेश कुमार के परिजन की माने तो मंगलवार को वे खरूआरा से निकले थे। लेकिन शाम तक वापस नहीं लौटने पर मोबाइल से सम्पर्क किया गया तो उनका मोबाइल बंद बताया। चूँकि उनका मकान हरनौत में भी है तो वहाँ भी खोज खबर की गई लेकिन वहाँ भी नही मिले।

अगले दिन भी उनका कुछ पता नहीं चल सका। थक हारकर परिजन ने हरनौत थाना को इसकी सूचना दी। उसके बाद छात्र जदयू के जिलाध्यक्ष समेत कई लोगों ने नालंदा एसपी से अपने नेता की बरामदी की गुहार लगाई थी।

शुक्रवार को भी पुलिस द्वारा उनकी खोज नहीं किए जाने से नाराज लोगों ने हरनौत में नेशनल हाईवे 31 को जाम कर  सड़क पर आगजनी कर यातायात पूरी तरह ठप्प कर दिया था। लोग पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करते हुए लापता छात्र नेता को बरामद करने की मांग कर रहे थे।

शनिवार को पुलिस ने श्वान दस्ते के साथ उनकी खोज की। खोजबीन के दौरान पुलिस और ग्रामीण भी चौंक गए। पुलिस को एक कुंआ से उनकी चप्पल और खून से सने शर्ट मिला जिससे साफ प्रतीत हो चुका था उनकी हत्या हो चुकी है।

इस दौरान पुलिस ने ग्रामीणों से मिले संकेत के आधार पर एक मकान के कमरे कोभी सील किया। इस कमरे में हुई ताजी रंग-पुताई में छुपे खून के धब्बे भी मिले।

विश्वस्त सूत्रों के अनुसार उस मकान पर जदयू के ही रौशन कुमार, प्रखंड पार्टी प्रवक्ता का बोर्ड लगा था, लेकिन वह घर पार्टी से ही जुड़े दीपक कुमार का है।

जब परिजनों ने थाना में शिकायत की तो स्थानीय थाना पुलिस दीपक को उठा ले गई, लेकिन किसी उपरी पहुंच-पैरवी के दबाव में उसे पीआर बांड भरवा कर थाना से छोड़ दिया गया। जबकि वह भी नामजद अभियुक्त था।

सूत्र बताते हैं कि ग्रामीणों ने उसी घर में दीपक, दिवाकर और मनीष के साथ राकेश कुमार (मृतक) को अंतिम बार देखा था। कुछ लोगों ने चीखने-चिल्लाने की बातें भी सुनी थी।

गांव वालों का साफ कहना था कि उसी घर में राकेश की हत्या हत्या की गई। रात में उसकी धुलाई की गई और अङले सुबह उसके भीतर रंग-पुताई कर उसमें धान रख दिया गया। एफएसएल टीम की जांच में भी रंगों में खून के अंश साफ मिले।  

इसी आधार पर राकेश के परिजनों ने अपहरण कर हत्या करने की आशंका संबंधित थाना में शिकायत दर्ज कराई थी। लेकिन पुलिस की संदिग्ध रवैया बरकरार रही।

रविवार को पुलिस द्वारा खोजबीन के बाद लापता राकेश कुमार की लाश मिलते ही क्षेत्र में सनसनी फैल गई। इस घटना के बाद लोगों में काफी गुस्सा है। ग्रामीण अपराधियों की शीघ्र गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं।

सवाल उठता है कि आखिर छात्र जदयू के प्रदेश महासचिव की हत्या क्यों की गई? उसके पिछे अपराधियों की मंशा क्या रही। पुलिस इस मामले में ग्रामीणों के बीच उभरे सूचनाओं पर तत्काल कार्रवाई करने से क्यों कतराती रही। सीएम नीतिश कुमार के घर-आंगन में ऐसे सवालों के जबाव के बिना सुशासन या कानून के राज की कल्पना नहीं की जा सकती।

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