“सीएम नीतीश कुमार सरकारी अफसरों को संवेदनशील मामले में पारदर्शिता के साथ काम करने की सलाह भले देते रहे हों, लेकिन इस ताजा मामले से यह साफ जाहिर है कि ‘चांदी की जूती की चमक’ आगे पारदर्शिता, इमानदारी और न्याय बौना बन रहा है।”
पटना (खबर मंथन)। एक ऐसा ही ताजा पर काफी संवेदनशील और रोचक मामला है संपतचक अंचल के अंतर्गत आने वाले रामकृष्णा नगर थाना के शेखपुरा गांव की। इस गांव के निवासी अभय कुमार सिंह, पिता-अखिलेश प्रसाद की इस गावं में 36 डी. (12 कठ्ठा) पुस्तैनी जमीन है।
इतना सुनते ही जमीन के वास्तविक मालिक अभय सिंह के पैरो तले जमीन खिसक गई क्योंकि उन्होंने न तो अपनी जमीन बेचने के लिए किसी को पावर ऑफ एटार्नी दी थी और न ही किसी से बेचन की बात की थी।
इसके बाद अभय सिंह ने तत्काल इसकी लिखित शिकायत पटना के एसएसपी से की। एसएसपी ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए रामकृष्ण नगर थानाध्यक्ष को पूरे मामले की तहकीकात का आदेश दिया।
एसएसपी के आदेश के आलोक में थानाध्यक्ष ने अपने पत्रांक 429/17 दिनांक 10 मार्च 2017 के द्वारा एडिशनल रजिस्ट्रार आफ आसु, कोलकाता को डीड की कॉपी भेजते हुए लिखा गया कि ‘आवेदक अभय कुमार द्वारा यह सूचित किया गया है।
इनकी जमीन को डीड नंबर-7659/16, 7654/16 एवं 1858/16 के द्वारा फर्जी तरीके से आशीष कुमार पिता सुनील कुमार सिंह के द्वारा जेनरल पॉवर ऑफ एटार्नी करा लिया है। जिसका सत्यापन आपके कार्यालय से आवश्यक है।’
थाना प्रभारी के पत्र के आलोक में कोलकाता के रजिस्ट्रार आसु ने जो पत्र भेजा, उसमें यह लिखा गया था कि डीड और वास्तविक कागजात आपस में मेल नहीं खाते।
इसके बाद थानाध्यक्ष ने संपतचक के अंचलाधिकारी को पत्र लिखकर उन्हें सारे कागजात भेजते हुए मामले का त्वरित निष्पादन करने का आग्रह किया।
लेकिन पूर्व से ही फर्जी अभय सिंह बनकर आशीष कुमार सिंह के नाम से कोलकाता में फर्जी डीड बनाने वाले दोनों जालसाजों के लगातार संपर्क में रहने वाले अंचलाधिकारी ने अपने पत्रांक-443 दिनांक 26 मार्च 2018 को जो पत्र भेजा, वह काफी चौंकाने वाला है।
बिना कोई पडताल किए अंचलाधिकारी ने लिखा कि ‘आशीष कुमार के पक्ष में निष्पादित पॉवर ऑफ अर्टानी सही प्रतीत होता है। एतएव आशीष कुमार को उस जमीन पर कार्य करने की अनुमति दी जाती है।’
इधर जब पीडित अभय सिंह ने छानबीन की तो उन्हें यह जानकारी मिली कि मूलरुप से पीपरा थाना अंतर्गत पारथू गांव निवासी संतोष भारती ने फर्जी रुप से अभय कुमार सिंह के नाम से कोलकाता जाकर यह डीड करा दी।
डीड पर भी संतोष भारती की तस्वीर व उसकी अंगुलियों के निशान हैं। डीड पर दिए गए अंगुलियों के निशान और वास्तविक अभय सिंह की अंगुलियों के निशान का मिलान और उसकी जांच फोरेंसिक लैब में कराई जाए तो सरकारी अधिकारी और जालसाजों की मिली भगत का सच सामने आ जाएगा।
इस मामले में सबसे रोचक और दिलचस्प एक बात यह भी है कि कोलकाता में यह कथित फर्जी डीड (पावर ऑफ एर्टार्नी) 27 दिसम्बर 2016 को बना जिसपर अभय सिंह सिंह के नाम से जो मतदाता पहचान पत्र की कॉपी दी गई है, उस पहचान पत्र निर्गत होने की तिथि 5 जनवरी 2017 है।
इस सारे मामले से यह साफ जाहिर है कि करोडो रुपये मुल्य की जमीन को हथियाने के लिए जालसाज और दबंग आज भी अधिकारियों से सांठ-गांठ कर उनके संरक्षण में काम कर रहे हैं।