कहा जाता है कि माफियाओं द्वारा गांवों के हरे-भरे पेड़ काटने के खेल में विभागीय महकमा और अंचल कार्यालय तथा स्थानीय पंचायत जनप्रतिनिधि भी शामिल हैं। अगर इस पर तत्काल लगाम नहीं लगाया गया तो वह दिन दूर नहीं कि गांवों के अंलग-आरी भी वीरान नजर आयेगें।
ग्रामीण बताते हैं कि लकड़ी माफिया रात अंधेरे स्वचलित आरी-मशीन से पेड़ को काट डालते हैं और फिर दूसरी रात उसे वाहनों पर लाद कर गायब हो जाते हैं