“बिहार में सीएम पद को लेकर भाजपा और जदयू में घमासान मचा हुआ है। अभी तक दोनों दलों के अलग होने का फैसला नहीं हुआ है। लेकिन खटपट जारी है। ऊपरी तौर पर कहा जा रहा है कि दोनों दल साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी………………..”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क (जयप्रकाश नवीन )। भाजपा के नये प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने भी कहा है कि दोनों दल मिलकर चुनाव लड़ेगी। लेकिन सीएम के नाम पर कुछ बोलने से बच निकले।उन्होंने कहा कि बिहार में भाजपा को सबसे बड़ी पार्टी बनाने का लक्ष्य है।
भाजपा के नये प्रदेश अध्यक्ष की बात से स्पष्ट हो गया है कि भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनना चाहती है। चाहे अकेले लड़े या जदयू के साथ मिलकर चुनाव लड़े। भाजपा का दबाव होगा कि उसके बाद ही सीएम पद का फैसला किया जाए।
पहले से भाजपा के नेता बिना सीएम का चेहरा प्रोजेक्ट किए बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं। लोकसभा चुनाव में भी दोनों पार्टी बराबर सीटों पर चुनाव लड़ी थी। उसी फार्मूले को शायद विधानसभा चुनाव में पार्टी दुहराना चाहेगी।
2010 विधानसभा चुनाव में भाजपा 100 सीटों पर चुनाव लड़कर 91 सीटें जीती थी, जबकि जदयू 143 सीटों पर लड़कर 116 सीटें लाई थी।
अगर भाजपा ज्यादा सीटें लाती है तो वह अपना सीएम प्रोजेक्ट करने की मांग जदयू से करेंगी। वैसे पहले ज्यादा विधायक होने के बावजूद भाजपा नीतीश कुमार को नेता मानती रही है।
जदयू की ओर से आए बयान ने भी पुष्टि कर दी है कि भाजपा जिस अंदाज में राजनीति कर रही है, वह नीतीश कुमार को सीएम बनाने वाला अंदाज नहीं है।
वहीं भाजपा के नेताओं ने स्पष्ट कर दिया है कि अनुच्छेद 370, तीन तलाक के मुद्दे पर चुनाव लड़ेगी। जिसका जदयू विरोध कर रही है। जदयू नीतीश कुमार को नेता मानकर चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर चुकी है।
अगले कुछ दिनों में राम मंदिर का फैसला आना है और केंद्र सरकार नागरिकता कानून भी लागू करने जा रही है। भाजपा इसे बिहार में भी लागू करने की बात कह रही है। इतना सब कुछ होने के बाद भी भाजपा अपनी सहयोगी पार्टी जदयू को मुख्यमंत्री बनाने के लिए चुनाव नहीं लड़ेगी।
अब सवाल यह है कि दोनों की राहें जुदा कब होंगी? कयास लगाया जा रहा है कि भाजपा अगर झारखंड में चुनाव जीत जाती है तो बिहार में भाजपा और जदयू का तलाक संभव है।
लेकिन जदयू भी हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठी है। अंदरखाने की मानें तो जदयू भी आने वाली राजनीतिक संभावनाओं से निपटने की तैयारी कर रखी है।
माना जा रहा है कि कांग्रेस और राजद के एक धडे के साथ नीतीश कुमार अपनी सरकार बचा लें सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो बिहार में फिर से एक राजनीतिक समीकरण अस्तित्व में आ सकता है।