“नालंदा के चंडी प्रखंड में स्वास्थ्य व्यवस्था की एक बार फिर पोल खुल गई है। सरकार लाखों करोड़ रूपये सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा सुविधा पर हर माह फूंक डालती है। लाख रूपये वेतन लेने वाले चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मचारी मरीजों का इलाज करने से इंकार कर दें तो फिर काहे की सरकारी अस्पताल और सरकारी चिकित्सक।“
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। नालंदा जिले के चंडी प्रखंड मुख्यालय स्थित सरकारी रेफरल अस्पताल, जो लगता है कि खुद डायरिया से पीड़ित है। तभी तो यहाँ डायरिया पीड़ित का भी इलाज नहीं होता है।
चंडी अस्पताल के महिला चिकित्सक ने डायरिया पीड़ित मरीजों को यह कहकर लौटवा दी कि यहाँ चिकित्सक नहीं हैं। इलाज कौन करेगा।
इस दो टूक बात के बाद परिजन पीड़ित मरीजों को निजी अस्पतालों में भर्ती कराने को मजबूर हुए। जिससे निजी अस्पतालों की चांदी कट गई ।
बाद में नालंदा डीएम को जानकारी मिलने पर उन्होंने सिविल सर्जन को गाँव में मेडिकल टीम भेजने का निर्देश दिया। उनके निर्देश पर मेडिकल टीम गाँव में कैम्प कर पीड़ित मरीजों का इलाज में लगी हुई है।
चंडी के बढौना में पिछले दो दिन से डायरिया का प्रकोप बढ़ा हुआ है। गाँव के लगभग बीस घरों के तीन दर्जन से ज्यादा लोग बीमार है।भाजपा के जिला मीडिया प्रभारी धीरेन्द्र रंजन ने बताया कि गाँव के महादलित तथा पश्चिमी टोला में डायरिया का कहर ज्यादा है ।
उन्होंने इसकी सूचना सिविल सर्जन तथा स्वास्थ्य मंत्री को भी दिया। उनके निर्देश पर गाँव में मेडिकल टीम भेजा गया है। उन्होंने चंडी रेफरल अस्पताल में मरीजों का इलाज करने से इंकार पर कहा कि इसकी शिकायत स्वास्थ्य मंत्री से की है।
नालंदा का चंडी रेफरल अस्पताल इन दिनों बिना चिकित्सक का ही चल रहा है। जबकि सरकार लाखों रूपये महीना इस अस्पताल पर फूंक रही है। इसके अलावा इसकी मरम्मत पर लाखों रूपये खर्च कर देती है। अभी भी 44 लाख रूपये की राशि से अस्पताल में मरम्मत कार्य चल रहा है।
चंडी रेफरल अस्पताल से महज तीन किलोमीटर दूरी पर बसे बढ़ौना गांव में दहशत का नजारा ऐसा है कि हर कोई बीमार नजर आ रहा है। इस गांव में तीन दिन से डायरिया के चपेट में आकर बच्चे, बूढ़े समेत तीन दर्जन से ज्यादा लोग बीमार हो गए हैं। सभी का इलाज चंडी के निजी क्लिनिक में चल रहा है।
लगातार लोगों के बीच डायरिया फैलने से गांव बाले के बीच दहशत का महौल बन गया। दर्जनों लोग बीमार होने की सूचना ग्रामीण रेफरल अस्पताल आकर दी थी। लेकिन कोई डॉक्टर तक इस गांव में झांकने नही गया।
इस सूचना के बाद डीएम त्यागराजन ने पूरे मामले को संज्ञान में लेकर स्वास्थ विभाग को बीमार लोगों का इलाज का समुचित कदम उठाने का निर्देश दिया है।
डीएम के आदेश के बाद स्वास्थ महकमा ने जिला से टीम भेजकर कैम्प लगाया और लोगों का इलाज शुरू किया। सिविल सर्जन ने भी गाँव पहुँच कर बीमार लोगों का हाल चाल जाना।
डायरिया से पीड़ित लोगों ने अंदेशा जताया कि पीएचडी के द्वारा गाड़ा गया बोरिंग से सप्लाई की गई पानी पीने से हमलोग डायरिया के चपेट में आ रहे हैं। कही न कही उस बोरिंग से हमलोग गंदा पानी मिल रहा है। जिसको लेकर तत्काल रूप से उस बोरिंग को बंद कर दिया गया है।
एक पीड़ित मरीज के अभिभावक चुन्नू सिंह ने कहा कि डायरिया होने के बाद जब हमलोग रेफरल अस्पताल गए तो वहाँ मौजूद महिला डॉक्टर ने टके से जवाब दिया कि यहाँ डायरिया के इलाज के लिए कोई व्यवस्था नही है। इस अस्पताल का कोई प्रभारी भी नही है। हमलोगों का हालत ज्यादा खराब हो रहा था। तब जाकर हमलोग निजी क्लिनिक में अपना इलाज करवाया।
पीड़ित के अभिभावक चुन्नू सिंह ने बताया कि अस्पताल में हमलोगों का इलाज नही होने पर दूरभाष पर सीएस से करीब दस बार संपर्क करने की कोशिश किया। लेकिन एक बार भी फोन उठाना मुनासिब नही समझा।
पिछले दो दिन से डायरिया फैलने के बाद ग्रामीण लोग दहशत में थे। रेफरल अस्पताल में सूचना देने के बाद भी कोई डॉक्टर की टीम नही आने पर लोगों में नाराजगी बनी हुई थी। इसकी सूचना मीडिया के माध्यम से डीएम को मिला।
डीएम के संज्ञान आने के बाद करीब दो घंटे बाद जिला से मेडिकल टीम बढ़ौना गांव पहुंची।साथ ही सीएस ने भी गांव आकर डायरिया से ग्रस्त लोगों के बीच जाकर हालचाल लिया।
प्रभारी चिकित्सक पदाधिकारी डॉ परमेशर प्रसाद ने बताया कि डायरिया का यहां समुचित इलाज की व्यवस्था है। बढ़ौना गांव में मेडिकल टीम भेजी गयी है। साथ ही सीएस भी इस गांव में आकर मरीजों का हालचाल लिए है। जहां अस्पताल में इलाज नहीं करने का मरीज आरोप लगा रहे तो उस बक्त हम मीटिंग में थे। महिला डॉक्टर अस्पताल में थी। किस कारण से पीड़ित का इलाज नही किया गया। जिसकी जॉच की जाएगी।