रांची के आस पास जो बचे हुए प्राकृतिक जंगल में अगर आप जाएं तो ये जरूर समझने की कोशिश करें की जिस जंगल में आप जा रहे हैं वो कितना पुराना है। रांची के जंगल को ट्रॉपिकल जंगल (Dry tropical type) की श्रेणी में रखा गया है। ये ज्यादातर पहाड़ों पर या उसके ढाल में हैं।
शोध कि अगर माने तो विश्व में इस तरह के जंगल की आयु करीब १४५ से २०० मिलियन वर्ष पुरानी है। रांची के आस पास के वनों में पेड़ों की आयु औसतन ५० से लेके ५०० वर्ष तक हो सकती है। लेकिन इसपर शोध की आवश्यकता है।
पेड़ों का आकार बदलता गया तथा वन क्षेत्र कम होते गए। अगर झारखण्ड के साहेबगंज और राजमहल की बात करे तो वहाँ जो पेड़ो के अवशेष (फॉसिल्स) मिले हैं वो जुरासिक काल के हैं (जब पृथ्वी पर डायनासोर का राज था ) यानि २०० से ५० मिलियन वर्ष पहले के। झारखण्ड में २०० से ३०० मिलियन वर्ष पहले (Permian age)भी जंगल थे लेकिन अब उनका सिर्फ फॉसिल्स के रूप में अवशेष दिखता है पत्तों के रूप में।
इन्ही जंगलों की वजह से रांची को उस वक़्त बिहार का ग्रीष्म कालीन राजधानी घोषित किया गया। हम मनुष्य आज अपने इस प्राचीन जंगल को ख़त्म करने में लगे हुए हैं जंगल भी अस्वस्थ हो रहा है। जंगल है तो ऑक्सीजन है तथा पानी है वरना सब ख़त्म।
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