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जलमीनार कांडः डीम के आदेश के बीच सबालों के घेरे में नगरनौसा बीडीओ

नगरनौसा (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार सरकार के कबीना मंत्री ललन सिंह के नालंदा जिले के नगरनौसा प्रखंड अंतर्गत गोराईपुर पंचायत स्थित पैत्रिक गिलानीचक गांव में ध्वस्त नवनिर्मित जलमीनार मामले में नगरनौसा बीडीओ सबालों के घेरे में आ गये हैं।

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सबालों के घेरे में नगरनौसा प्रखंड के बीडीओ अरविन्द कुमार सिंह…

नालंदा डीएम ने अपने कार्यालय पत्रांक-543, दिनांक- 16.04.2018 द्वारा नगरनौसा प्रखंड के बीडीओ को गोराईपुर पंचायत के वार्ड संख्या-0 में सात निश्चय योजना तहत कंक्रीट स्टैंड के टूटने के संबंध में 24 घंटे के भीतर वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति एवं संबंधित कनीय अभियंता के विरुद्ध स्थानीय थाना में प्राथमिकी दर्ज कर अनुपालन प्रतिवेदन देने का आदेश दिया था।

डीएम ने अपने आदेश में लिखा था कि उक्त वार्ड में टंकी हेतु कंक्रीट टूट गया है। स्पष्ट है कि निर्माण कार्य में न तो अधोस्ताक्षरी के निर्देश का पालन कियागया और न ही गुणवत्ता का ध्यान रखा गया।

कहते हैं कि डीएम के आदेश के अनुरुप बीडीओ ने खुद एफआईआर दर्ज करने की कार्यवाही नहीं की, बल्कि पंचायत सेवक के जरिये जेई समेत 8 लोगों के खिलाफ एफआईआर कराया, जो खुद सारे मामले में संदेहास्पद प्रतीत हैं।

नालंदा डीएम द्वारा नगरनौसा बी़डीओ को एफआईआर दर्ज करने संबंधित भेजे गये आदेश पत्र की प्रति….

जानकारी के अनुसार इसके करीब 2 माह  पहले एफआईआर दर्ज करने वाले पंचायत सेवक ने ही अपने कार्यालय पत्रांक-05/18  द्वारा गोराईपुर पंचायत के वार्ड-05 के वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति के वार्ड सचिव को निर्माण कार्य में बरती जा रही अनियमियता की ओर ध्यान आकृष्ट कराया था। इस पत्र की प्रतिलिपि नगरनौसा बीडीओ को भी प्रेषित की गई थी। लेकिन तब इसकी सुध न तो वार्ड समिति के लोगों ने ली और न ही बीडीओ के कानों में जूं रेंगी।

उस पत्र में पंचायत सेवक ने साफ तौर पर लिखा था कि सरकारी प्रावधानों के अनुसार पानी टंकी का निर्माण लोहे के स्टैंड पर होना है, फिर भी ईंट-बालू-सिमेंट के इस्तेमाल कर   कंक्रीट का निर्माण जिस तरह से किये जा रहे हैं, वह योजना निर्देशों का खुला उल्लंघन है। अगर ऐसा किया गया तो भविष्य में जलमीनार का ध्वस्त होना तय है।

पंचायत सेवक द्वारा वार्ड समिति व बीडीओ को प्रेषित पत्र …….

सबाल उठता है कि जब नगरनौसा बीडीओ को सबकुछ की जानकारी पहले से थी तो फिर उन्होंने मिली शिकायत पर गंभीरता से संज्ञान क्यों नहीं लिया। यही नहीं, उन्होनें अपने अधिकार क्षेत्र से आवंटित करीब 13 लाख रुपये में 11 लाख रुपय की स्वीकृति कैसे दे दी।

यह भी एक गंभीर विषय है कि योजना की राशि पहले मुखिया और पंचायत सचिव के खाते में भेजी गई। वहां से वह राशि वार्ड सदस्य और सचिव के खाते में स्थानांतरित की गई। इन सारे बैंक खातों की भी जांच होनी चाहिये कि कब कितनी राशि निकाली गई या उसे किस खाते स्थानांतरित की गई।

क्योंकि गांवों की विकास योजनाओं की राशि निर्गत होने के पहले ही एक निश्चित कमीशन राशि तय कर ली जाती है और प्रायः यह खेल एडवांस पे चेक के  जरिये होता है,जो आम प्रचलन बन गया है।  

यदि वार्ड समिति द्वारा किये जा रहे निर्माण कार्य में नियम विरुद्ध व्यापक पैमाने पर अनियमियता बरती जा रही थी तो पंचायत और प्रखंड स्तर की निगरानी समिति लापरवाह क्यों बनी रही। जबाबदेही सबकी बनती है। भ्रष्टाचार का घड़ा किसी एक सिर नहीं फोड़ा जा सकता है। हमाम में मस्त सभी नंगों की तस्वीर उजागर होनी चाहिये।           

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