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चारा घोटाला मामले में सीएम के निर्देश पर सीएस राजबाला वर्मा को पीत पत्र

एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। वर्ष 2018 की शुरुआत झारखंड के चीफ सेक्रेटरी राजबाला वर्मा के सामने मुसीबतें खड़ी करने वाली दिख रही है। बहुचर्चित बिहार चारा घोटाला की जांच एजेंसी द्वारा वर्षों पहले की गई टिप्पणी पर सरकार के खाद्द आपूर्ति मंत्री सरयु राय के आलावे विपक्षी दलों के कड़े तेवर के बाद राज्य सरकार भी श्री मति वर्मा के प्रति गंभीर हो उठी है।

झारखंड के सीएम रघुबर दास ने चीफ सेक्रेटरी राजबाला वर्मा को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। इसके बाद सीएमओ ने कार्मिक सचिव को पीत पत्र (बफशीट) भेज दिया है। सरकार अब राजबाला वर्मा को नोटिस भेज कर सात दिनों के भीतर अपना पक्ष रखने का अंतिम मौका देगी।

raghuwar dasबफशीट के साथ संसदीय कार्यमंत्री सरयू राय की ओर से सरकार को लिखी चिट्‌ठी की प्रति भी लगाई गई है।

अब कार्मिक विभाग सोमवार को उन्हें नोटिस तामिला (सर्व) करा सकती है। उनसे कहा जा सकता है कि जवाब (प्रतिक्रिया) देने का अंतिम मौका दिया जा रहा है।

अगर वह अपना पक्ष नहीं रखती तो सरकार अंतिम निर्णय ले लेगी। जवाब नहीं देने या संतोषजनक जवाब देने पर उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू हो सकती है।

सीबीआई ने चारा घोटाले के चाईबासा ट्रेजरी से अवैध निकासी मामले में मुख्य सचिव राजबाला वर्मा को मिस कंडक्ट और लापरवाही के लिए जिम्मेदार माना है।

सीबीआई ने राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट और केस फाइंडिंग देते हुए कहा था कि इन पर मेजर पनिशमेंट के लिए विभागीय कार्यवाही चलाएं।

सीबीआई के इस निर्देश के बाद राज्य सरकार ने उनसे जवाब मांगा। 2003 से अब तक उन्हें 30 बार रिमाइंडर भेजा। लेकिन राजबाला वर्मा ने जवाब नहीं दिया।

इसी बीच राज्य के तीनों प्रमुख विपक्षी दल झामुमो, झाविमो और कांग्रेस ने सरकार से राजबाला वर्मा को पद से हटाने और उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही चलाने की मांग की थी।

मंत्री सरयू राय ने भी सरकार को चिट्‌ठी लिखी थी। उन्होंने अपने पत्र में कहा था कि सरकार इस मामले में कानून सम्मत कार्रवाई का आदेश दे, वरना सरकार की छवि पर असर पड़ेगा।

श्री राय ने सवाल उठाया था कि 30 रिमाइंडर के बाद भी राजबाला वर्मा ने जवाब क्यों नहीं दिया। प्रतीक्षा करने के बदले किसी सक्षम प्राधिकार ने मुख्य सचिव पर कार्रवाई क्यों नहीं की।

नोटिस मिलने पर तय समय में राजबाला का जवाब नहीं मिलता या सरकार जवाब से संतुष्ट नहीं होती तो विभागीय कार्यवाही शुरू हो सकती है। अभी उनसे वरिष्ठ कोई अधिकारी नहीं है।

ऐसे में विभागीय कार्यवाही चलाने का निर्णय होने पर राज्य सरकार केंद्र से संचालन पदाधिकारी बनाने का अनुरोध कर सकती है।

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