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खंडहर बने इस सरकारी बस स्टैंड पर 15 साल से नहीं गई ‘विकास पुरुष’ की नजर!

आश्चर्य है कि सीएम नीतीश कुमार के गृह जिला मुख्यालय का बिहारशरीफ सरकारी बस स्टैंड अपनी बदहाली पर यूं आंसू बहा रहा है और किसी रहनुमा की बाट जोह रहा है। कभी उनकी या उनके करींदों की नजर भी इस ओर नहीं गई। विभागीय लोग तो सिर्फ लूटने-खसोंटने में लगे हैं”

एक्सपर्ट मीडिया न्यूज (राजीव रंजन)। नालंदा के जिले बिहारशरीफ शहर नगर का एकमात्र सरकारी बस स्टैंड कभी यात्रियों से गुलजार रहा करता था। लेतिन आज वीरान और बदहाल है।nalanda bihar sharif gov bus stand1

यहां से मुगलसराय जंक्शन की तर्ज पर देश के अलग-अलग राज्य जाने की बसें खुलती थी, लेकिन अब यह बस स्टैंड खंडहर में तब्दील हो गया है और आज यहां से केवल राज्य के ही दो तीन जिलों में जैसे पटना जमुई और नवादा जाने के लिए बसें खुलती है।

इस सरकारी बस स्टैंड में प्रतिष्ठान अधीक्षक समेत कुल 12 कर्मचारी पदस्थापित हैं। लेकिन कर्मचारियों की गायब रहने और विभाग की अनदेखी के कारण आज यह बस स्टैंड एक खंडहर बन चुका है।

बिहारशरीफ मुख्यालय के मुख्य सड़क के रांची रोड के बगल में यह सड़क के किनारे सरकारी स्टैंड है और इस रांची रोड से महीने में राज्य के कोई न कोई सफेदपोश जरूर इस की बदहाली को देखते हुए गुजरते हैं मगर उनकी खुली हुई आंखों से भी इस खंडहर जैसे भवन नजर नहीं आ रहे।

इस सरकारी बस स्टैंड का शिलान्यास  करीब 1961 -62 के बस में हुआ था  और  सरकारी बस स्टैंड समेत भवन का उद्घाटन साल 1965 में हुआ था। तब से मरम्मत के अभाव में इस बस स्टैंड के भवन के सारे कमरे ढह गए हैं और यहां जो भी दो चार 10 कर्मचारी रहते हैं, वह अपनी जान जोखिम में डालकर अपना जीवन निर्वहन कर रहे है।

 

प्रारंभिक दौर में इस स्टैंड में करीब 300 से 400 कर्मचारी कार्यरत रहते थे, जहां कार्यालय में 100 से डेढ़ सौ कर्मचारी कार्यरत थे। मगर आज यहां भवन की मार तो है ही कर्मचारी भी पूर्व के मुताबिक नगण्य है।

कभी यहां प्रतिदिन सौ से ज्यादा बसें यहां से खुलती थीं। 38 समय सारणी थे। लेकिन आज सिर्फ 7 बसें ही खुलती हैं। ऐसे में यात्रियों को खासा परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

बिहार राज्य पथ परिवहन निगम के वहां मौजूद सेवानिवृत 2-3कर्मचारी की मानें तो सरकार की अनदेखी के कारण आज इस बस स्टैंड का अस्तित्व समाप्त होने की कगार पर है भवन जर्जर अवस्था में है।

यहां बचे-खुचे मौजूद कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर यात्री टिकट निकालते हैं और कार्यालय का काम करते हैं। और यह गुंडे और मवाली समेत गंजेड़ी और नशेड़ियों का अड्डा बन चुका है।

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