बिहार से क्षेत्रीय दल रालोसपा एनडीए गठबंधन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके सुप्रीमो उपेन्द्र कुशवाहा हैं । कभी बिहार में कुर्मी-कोयरी, या लव-कुश भाई -भाई का नारा लगता था।
इन्हीं दो पिछड़ी जातियों की एकजुटता ने नीतीश कुमार को बिहार की सता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका रही थी।लेकिन बाद के सालों में कोयरी वोट बैंक नीतीश कुमार से बिदकता चला गया। कई कोयरी नेता बिहार के राजनीतिक रंग मंच पर उभरे। उनमें केन्द्रीय राज्य मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने अपनी एक अलग पहचान बनाई।
पिछले लोकसभा चुनाव से एनडीए गठबंधन का हिस्सा हैं। लेकिन अब राजनीतिक गलियारे में चर्चा गर्म है कि उपेन्द्र कुशवाहा और एनडीए के बीच दूरी बढ़ रही है।
जिस प्रकार से भाजपा अपने तीन साल के शासन की उपलब्धिओं का प्रचार प्रसार कर रही है और गठबंधन में शामिल दूसरे दलों की उपेक्षा से नाराज रालोसपा अब अलग रास्ता खोज रही है। एनडीए में अपने अच्छे दिन शायद उन्हें नजर नही आ रहा है ।
तभी तो उनकी पार्टी रालोसपा जदयू के गढ़ राजगीर में कल यानि 14 जून से तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन कर रही है।यह आयोजन 16 जून तक चलेगा। इसकी सारी तैयारी पूरी कर ली गई है।
हालाँकि इस शिविर में सरकार की उपलब्धियों तथा इवीएम पर राजनीतिक दलों के द्वारा फैलाए जा रहे भ्रम पर भी चर्चा के साथ संगठन के विस्तार पर भी चर्चा होगी।
साथ ही यह भी बात सामने आ रही है कि पार्टी अब हाइटेक भी होगी। अपने पार्टी का स्टैंड और विचार रखने के लिए सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल पर चर्चा होगी।
इस शिविर में बिहार के अलावा उतर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, झारखंड, असम, बंगाल, मध्यप्रदेश, तेलगांना, महाराष्ट्र तथा केरल से पार्टी प्रतिनिधि भी शामिल होंगे तथा इस शिविर में समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर, वरिष्ठ पत्रकार अरविंद मोहन के भी आने की चर्चा है।
आखिर जदयू के गढ़ राजगीर में रालोसपा के प्रशिक्षण शिविर के निहितार्थ क्या है ? महज यह एक पार्टी कार्यक्रम है या फिर नए राजनीतिक संदेश का कयास । राजनीतिक हलको में चर्चा यह भी है कि आने वाले समय में केन्द्रीय राज्य मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा और पूर्व सीएम लालू प्रसाद एक मंच पर भी आ सकते हैं ।
संभावनाओं की राजनीति में कुछ भी संभव है। यह आने वाला समय ही तय करेगा कि यह प्रशिक्षण शिविर बिहार की राजनीतिक में कौन सा गुल खिलाएगी।