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‘कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है’

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एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क। कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है। यह गीत युवाओं को छोड़िए उम्रदराज लोगों के बीच भी उतनी दीवानगी के संग सुना जाता है। इस गीत को आज के दौर के मशहुर कवि कुमार विश्वास ने लिखा है।

KUMAR VISHWASH 1

कुमार विश्वास इस समय के सबसे लोकप्रिय कवियों में से एक हैं। वह इंटरनेट और सोशल मीडिया पर फॉलो किए जाने वाले कवि हैं। कुमार विश्वास का आज जन्मदिन (10 फरवरी) है।

कुमार विश्वास की कुछ लोकप्रिय कविताएं हैं- ‘तुम्हें मैं प्यार नहीं दे पाऊंगा’, ‘ये इतने लोग कहां जाते हैं सुबह-सुबह’, ‘होठों पर गंगा है’ और ‘सफाई मत देना’।

अगस्त, 2011 में कुमार ‘जनलोकपाल आंदोलन’ के लिए गठित टीम अन्ना के सक्रिय सदस्य रहे हैं।

अपने सखा अरविंद केजरीवाल के साथ मंच से लोगों को घंटों उत्साहपूर्ण भाषणों व गीतों से बंधे रखने वाले व्यक्ति कुमार विश्वास ही थे।

लोग जहां उनकी कविता के दीवाने थे वहीं इस दौरान उनके मंच कौशल और भाषण के भी कायल हो गए।

कुमार विश्वास 26 जनवरी, 2012 को गठित टीम ‘आम आदमी पार्टी’ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य हैं। कुमार विश्वास ने वर्ष 2014 में अमेठी से राहुल गांधी और स्मृति ईरानी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा था, जिसमें बाजी नहीं मार पाए।

कुमार विश्वास की प्रारंभिक शिक्षा पिलखुआ के लाला गंगा सहाय विद्यालय में हुई। उन्होंने राजपुताना रेजिमेंट इंटर कॉलेज से 12वीं पास की है। इनके पिता चाहते थे कि कुमार इंजीनियर बनें लेकिन इनका इंजीनियरिंग की पढ़ाई में मन नहीं लगता था।

वह कुछ अलग करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी और हिंदी साहित्य में ‘स्वर्ण पदक ‘ के साथ स्नातक की डिग्री हासिल की।

एमए करने के बाद उन्होंने ‘कौरवी लोकगीतों में लोकचेतना’ विषय पर पीएचडी प्राप्त की। उनके इस शोधकार्य को वर्ष 2001 में पुरस्कृत भी किया गया।

वर्ष 1994 में राजस्थान के एक कॉलेज में व्याख्याता (लेक्चरर) के रूप में अपने करियर की शुरुआत करने वाले कुमार विश्वास हिंदी कविता मंच के सबसे व्यस्ततम कवियों में से एक हैं।

उन्होंने कई कवि सम्मेलनों की शोभा बढ़ाई है और पत्रिकाओं के लिए वह भी लिखते हैं। मंचीय कवि होने के साथ-साथ विश्वास हिंदी सिनेमा के गीतकार भी हैं और आदित्य दत्त की फिल्म ‘चाय गरम’ में उन्होंने अभिनय भी किया है।

कुमार विश्वास का जन्म 10 फरवरी, 1970 को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जनपद के पिलखुआ में हुआ था। इनके पिता का नाम डॉ. चंद्रपाल शर्मा हैं, जो आरएसएस डिग्री कॉलेज में प्रध्यापक हैं और मां का नाम रमा शर्मा है। वह अपने चार भाइयों में सबसे छोटे हैं।

शुरुआती दिनों में जब कुमार विश्वास कवि सम्मेलनों से देर से लौटते थे, तो पैसे बचाने के लिए ट्रक में लिफ्ट लिया करते थे।

उनकी कविताएं पत्रिकाओं में नियमित रूप से छपने के अलावा दो काव्य-संग्रह भी प्रकाशित हुए हैं- ‘एक पगली लड़की के बिन’ और ‘कोई दीवाना कहता है’।

विख्यात लेखक धर्मवीर भारती ने कुमार विश्वास को अपनी पीढ़ी का सबसे ज्यादा संभावनाओं वाला कवि कहा था। प्रसिद्ध हिंदी गीतकार नीरज ने उन्हें ‘निशा-नियाम’की संज्ञा दी है।

कवि सम्मेलनों और मुशायरों के अग्रणी कवि कुमार विश्वास अच्छे मंच संचालक भी माने जाते हैं। देश के कई शिक्षण संस्थानों में भी इनके एकल कार्यक्रम होते रहे हैं।

वर्ष 1994 में कुमार विश्वास को ‘काव्य कुमार’ 2004 में ‘डॉ सुमन अलंकरण’ अवार्ड, 2006 में ‘श्री साहित्य’ अवार्ड और 2010 में ‘गीत श्री’ अवार्ड से सम्मानित किया गया।

कुमार विश्वास की मशहूर शायरी…

पनाहों में जो आया हो तो उस पर वार क्या करना

जो दिल हारा हुआ हो उस पे फिर अधिकार क्या करना

मुहब्बत का मजा तो डूबने की कशमकश में है

हो ग़र मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना।

सदा तो धूप के हाथों में ही परचम नहीं होता

खुशी के घर में भी बोलों कभी क्या गम नहीं होता

फ़क़त इक आदमी के वास्तें जग छोड़ने वालो

फ़क़त उस आदमी से ये ज़माना कम नहीं होता।

स्वंय से दूर हो तुम भी स्वंय से दूर है हम भी

बहुत मशहूर हो तुम भी बहुत मशहूर है हम भी

बड़े मगरूर हो तुम भी बड़े मगरूर है हम भी

अतः मजबूर हो तुम भी अतः मजबूर है हम भी।

नज़र में शोखिया लब पर मुहब्बत का तराना है

मेरी उम्मीद की जद़ में अभी सारा जमाना है

कई जीते है दिल के देश पर मालूम है मुझकों

सिकन्दर हूं मुझे इक रोज खाली हाथ जाना है।

कुमार विश्वास की  मशहुर कविता…..

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है

मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है

मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है

ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है।

मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है

कभी कबिरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है

यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं

जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है।

समंदर पीर का अन्दर है, लेकिन रो नही सकता

यह आँसू प्यार का मोती है, इसको खो नही सकता

मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना, मगर सुन ले

जो मेरा हो नही पाया, वो तेरा हो नही सकता।

भ्रमर कोई कुमुदुनी पर मचल बैठा तो हंगामा

हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा

अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का

मैं किस्से को हकीक़त में बदल बैठा तो हंगामा।

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