Home बिहार ……….और अफसरों की उदासीनता से नगर पर्षद बनते-बनते यूं चूक गया राजगीर

……….और अफसरों की उदासीनता से नगर पर्षद बनते-बनते यूं चूक गया राजगीर

नालंदा ( राम विलास )। महज 413 जनसंख्या के अभाव में राजगीर नगर  पंचायत, नगर पर्षद नहीं बन सका। नगर पर्षद बनने के लिए 42,000 जनसंख्या की जरूरत थी। लेकिन वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार राजगीर नगर पंचायत की कुल आवादी 41587 है । जानकार बताते हैं कि स्थानीय अधिकारियों की उदासीनता के कारण राजगीर नगर पंचायत को नगर  पर्षद का दर्जा नहीं मिल सका।

rajgir bihar 1सूत्रों के अनुसार राजगीर की वर्तमान आबादी करीब 50 हजार है । लेकिन दोषपूर्ण जनगणना के कारण यहां की आबादी 42,000 भी नहीं पहुंच सकी । विभिन्न वार्डो  से कम से कम 25 -25 की जनसंख्या बढ़ा दी जाती तो राजगीर नगर पर्षद बन जाता ।अन्य जगहों की तरह राजगीर में भी चुनाव ह़ोना है।  राजगीर के वार्ड पार्षदों और आम नागरिकों को नगर पर्षद का दर्जा न मिलने का मलाल है ।

नागरिकों का मानना है कि वार्ड पार्षद सक्रिय होते तो परिस्थिति अनुकूल होती।  प्रखंड विकास पदाधिकारी ,अनुमंडल पदाधिकारी और नगर कार्यपालक पदाधिकारी में समन्वय होता तो राजगीर की जनगणना में 42 हजार से अधिक आबादी हो सकती थी। समन्वय के आभाव में और त्रुटि पूर्ण जनगणना के कारण नगर पर्षद बनने की अपेक्षित आवादी नहीं हो सकी।

नगर पंचायत के मुख्य पार्षद शकुंतला देवी के पुत्र अजय कुमार सिंह का मानना है कि  जनगणना कर्मियों की लापरवाही से या कर्तव्यहीनता से यह कमी रह गई । उन्होंने कहा कि यदि नगर कार्यपालक पदाधिकारी थोड़ा भी सजग होते तो नगर पर्षद की आबादी में कोई कमी नहीं होती ।

जानकार बताते हैं कि राजगीर में नगर पंचायत के चुनाव लड़ने के लिए ताल ठोक रहे लोगों  के विचार में बदलाव आ गया है । सामान्य वर्ग के कई लोग अध्यक्ष बनने की होड़ में चुनाव लड़ने के लिए तत्पर थे । वे एन केन प्रकारेण चुनाव जीतने के लिए शतरंज की गोटियां बिठा रहे थे।  लेकिन अध्यक्ष पद अनुसूचित जाति महिला घोषित होने के बाद उनके जोश ठंडे हो गए और अपने को चुनाव मैदान से अलग करने के लिए तैयार दिख रहे हैं।

दूसरी तरफ अनुसूचित जाति के लोगों में काफी उत्साह देखा जा रहा है, जो कल तक चुनाव लड़ने के लिए सोच भी नहीं रहे थे, वह आज चुनाव जीतने की चर्चा कर रहे हैं। अनुसूचित जाति के लोगों में ही अध्यक्ष पद हासिल करने की होड़ लग गई है , जबकि चुनाव की अधिसूचना अभी बाकी है ।

सूत्रों के अनुसार लोकसभा चुनाव के समय राजगीर की आबादी बढ़ सकती है, क्योंकि चुनाव के पहले नाम जोड़ने का काम।होता है। फलस्वरूप लोकसभा चुनाव बाद 2020 में राजगीर को नगर पर्षद का दर्जा मिल सकता है और मध्यवती चुनाव भी हो सकती है इससे इनकार नहीं किया जा सकता है।

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