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ओडीएफ जिले की ग्राउंड जीरो की पड़ताल में खुली सरकारी पोल

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समूचा झारखंड ओडीएफ राज्य घोषित कर दिया गय़ा है। यानि पूरा राज्य खुले में शौच मुक्त घोषित हो चुका है। लेकिन जमीनी हकीकत यहां कोसों दूर नजर आ रहा है….”

सरायकेला (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। झारखंड के सरायकेला जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर की दूरी पर बसा एक गांव छोटादावना गांव है, जहां लगभग तीन सौ से भी अधिक की आबादी है।

इस गांव में जिला प्रशासन की ओर से करीब 70 शौचालय बनाए गए थे। लेकिन कुछ ही महीनों  के भीतर शौचालय की स्थितति देखकर आप दंग रह जाएंगे।

बता दें कि शौचालय तो बना लेकिन कहीं छत है तो दीवार नहीं।  दीवार है तो पैन नहीं। कहीं शौचालयों में तो दरवाजा ही नहीं तो कई शौचालय तबेले में तब्दील हो चुका है। वैसे सबसे अधिक हैरानी आपको प्रखंड विकास पदाधिकारी की बातों को सुनकर होती है।

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प्रखंड विकास पदाधिकारी का कहना है कि शौचालय बने डेढ़ साल हो गया और उपयोग नहीं होने पर शौचालय का टूटना लाजिमी है। तो क्या शौचालय निर्माण के नाम पर 12 हजार रूपए इसलिए निर्गत किए गए थे कि वो दो साल दो साल के भीतर टूट जाए। जबकि अभी तो देश को ओडीएफ घोषित करने की समय सीमा भी पूरी नहीं हुई।

वैसे ग्रामीणों की अगर माने तो शौचालय बना जरूर, लेकिन पानी के अभाव में शौचालय जाम होने लगा और अंत में ग्रामीण खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हो गए।

इस गांव का आलम ये है कि शाम यहां की बेटियां और बहुंए खुले में शौच के लिए बाहर निकलने के लिए मजबूर हैं। ग्रामीण तो जिला प्रशासन पर ओडीएफ का पैसा लाभुकों को नहीं दिए जाने का भी खुला आरोप लगा रहे हैं।

वैसे ओडीएफ झारखंड का यह एक नमूना है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे भी बुरी है। सरायकेला जिला में ओडीएफ के नाम पर जमकर खाना पूर्ति हुई है और केंद्र व राज्य सरकार को जिले के अधिकारी गुमराह कर इस अति महत्वाकांक्षी योजना पर पानी फेरने का काम किया है।

अगर ईमानदारी से इस योजना की जांच हुई तो निश्चित तौर पर एक बड़ा घोटाला सामने आ सकता है।

सुनिए हैरान कर देने वाली बीडीओ साहब की दलील….

 

 

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