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उल्टी पुलिसिया कार्रवाई है नालंदा के एसपी-डीएसपी के प्रति वकीलों में उबाल की वजह

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नालंदा एसपी सुधीर कुमार पोरिका और डीएसपी निशित प्रिया के दुर्व्यवहार से आहत जिला अधिवक्ता संघ के सदस्यों में भारी आक्रोश देखा जा रहा है। वे आर-पार की लड़ाई की मुद्रा में दिख रहे हैं। कई बार संपर्क करने के बाबजूद एसपी-डीएसपी का पक्ष प्राप्त नहीं हो सका है। एक्सपर्ट मीडिया न्यूज की टीम ने इस मामले की पड़ताल की तो कई सनसनीखेज तत्थ उभर कर सामने आये, जो पुलिस की कार्यशैली पर सीधा सवाल खड़ा करती है।”

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दरअसल, जिला मुख्यालय बिहारशरीफ के लहेरी थाना क्षेत्र के मंगला स्थान रोड में स्थानीय व्यवहार न्यायालय के वकील पवन कुमार सिन्हा का निजी जमीन है। उक्त जमीन पर सरकालेकर मिटटी भराई का कार्य कराया जा रहा था।री स्तर से पानी टंकी के निर्माण को 

जब इसकी भनक जमीन मालिक वकील पवन कुमार को मिली कि उनके निजी जमीन पर सरकारी अस्तर से पानी टंकी बनाने को लेकर मिटटी भराई का कार्य की जा रही है तो वकील साहब अपने निजी जमीन पर जाकर देखा तो मिटटी भराई का कार्य जारी था।

जब वकील पवन कुमार सिन्हा ने अपनी निजी जमीन में मिट्टी भराई को लेकर पूछताछ करने लगे तो पानी टंकी निर्माणकर्ता ठेकेदार के 8 -10 गुर्गे इनके साथ बदसलूकी करते हुए मारपीट किया। जिसमें उनका चश्मा भी टूट गया।घटना की सूचना पाकर लहेरी थाना पुलिस वहां पहुंची और वकील पवन कुमार को अपने साथ लेकर लहेरी थाना चली गई और उनसे जमीन के कागजात की मांग करने लगे।

लहेरी थाना की पुलिस अपना दिमाग लगाकर करीब 2 घंटे तक वकील को न सिर्फ थाने में बैठा रखा, बल्कि उल्टे डांट फटकार लगाई और एफआईआर  भी दर्ज नहीं किया गया

इसके बाद घटना की सूचना मिलते ही जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष प्रभात कुमार रूखेयार, सचिव दिनेश प्रसाद समेत अन्य वकीलों ने बैठक कर मामला को नालंदा पुलिस अधीक्षक के नजदीक ले गए। लेकिन दोनों पुलिस पदाधिकारी ने सभी वकीलों को उल्टे फटकार लगाते हुये कानून का पाठ पढ़ाने लगे।

तब सभी वकीलों ने कोर्ट परिसर में आकर नालंदा जिला वकील संघ के तत्वाधान में लहेरी थाना अध्यक्ष संतोष कुमार के मनमानी के विरुद्ध कोर्ट के कामकाज को ठप कर दिया तथा वकीलओं का 9  सदस्य टीम बनाकर एक निर्णय लिया गया कि नालंदा पुलिस अधीक्षक समेत इस घटना में संलिप्त सभी पुलिस पदाधिकारियों को यहां से हटाने की मांग को लेकर व्यवहार न्यायालय से पैदल मार्च कर जिलाधिकारी से मिलकर सरकार को ज्ञापन सौंपा जाएगा।

बता दें कि जिस जमीन पर सरकारी स्तर से पानी टंकी का निर्माण कराया जा रहा है, उस पर उच्च न्यायालय का स्टे आर्डर लगा हुआ है। इसके बावजूद भी उस पर सरकारी अस्तर से पानी टंकी का निर्माण कैसे कराया जा रहा है, यह एक अलग जांच का विषय है….

 

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