राजगीर (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिये नालंदा जिला अन्तर्गत राजगीर मलमास मेला सैरात भूमि की बंदोवस्ती में भारी अनियमियता बरती जाने की सूचना है।
आज राजगीर अनुमंडलीय कार्यालय सभागार में एसडीओ की उपस्थिति में सिलाव नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी उपेन्द्र कुमार सिन्हा, जो राजगीर नगर पंचायत के कार्यापालक पदाधिकारी के प्रभार में हैं, वे तमाम नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ाते हुये अपने चहेते को खुला निविदा की जगह बंद कमरे में ही बंदोवस्ती कर चलते बने।
कहा जाता है कि जिस सभागार में खुला निविदा आमंत्रित की गई थी, वहां सीधे दबंग प्रभावशाली तीन लोग, चाचा, भतीजा और उसके एक करीबी को ही अंदर जाने दिया गया। जिसमें एक चाचा के नाम निविदा बंदोवस्त कर दी गई।
यहां प्रशासनिक गुंडागर्दी का आलम यह रहा कि निर्धारित बंदोवस्ती सभागार में किसी भी अन्य संवेदक को अंदर प्रवेश करने नहीं दिया गया। इसमें कई संवेदक ऐसे थे, जो अधिक बोली लगा कर निविदा लेने को तैयार थे।
यही नहीं, राजगीर नगर पंचायत के निर्वाचित अध्यक्ष, उपाध्यक्ष समेत किसी भी वार्ड सदस्यों को भी बंदोबस्ती सभागार में जाने नहीं दिया गया। इससे इन जनप्रतिनिधियों में भारी आक्रोश देखा जा रहा है।
आक्रोशित लोगों का कहना है कि जब बंद कमरे में ही सब कुछ पहले से तय करना था तो फिर खुला निविदा का आवेदन क्यों मांगा गया। कई संवेदक जब बंदोवस्त राशि से काफी अधिक राशि की बोली लगाने को तैयार थे तो फिर सरकार को राजस्व की भारी क्षति पहुंचाते हुये जिम्मेवार अफसरों द्वारा सुरक्षित जमा राशि से नाम मात्र की बढ़त पर समूचे मलमास मेला सैरात भूमि की बंदोवस्ती कैसे हो गई। जाहिर है कि इसमें प्रशासनिक भ्रष्टाचार की बड़ी बू आती है।
बता दें कि 7 मार्च, 2018 को अखबारों में इस संबंध में एक निविदा विज्ञापन प्रकाशित की गई थी, उसमें उल्लेख था कि राजगीर मलमास मेला की सुरक्षित जमा राशि 2 करोड़, 5 लाख, 13 हजार, 2 सौ 98 रुपये और उसकी जमानत राशि 1 लाख, 25 हजार, 6 सौ 65 रुपये निर्धारित है।
सूत्रों के अनुसार आज बंद कमरे में खुला निविदा के नाम पर 2 करोड़, 5 लाख, 55 हजार रुपये यानि महज 50 हजार रुपये अधिक में बंदोवस्ती की गई है। जबकि कई बंचित संवेदक 3 करोड़ तक की बोली लगाने को तैयार थे।