“अभी भी लोग नगदी से ही कर रहे हैं अधिक कारोबार, शहर की एक फीसदी दुकानों में भी है पॉउस मशीन, कैश लेस के नाम पर व्यवहार में है सिर्फ एटीएम”
हिलसा (चन्द्रकांत)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कैश लेस करने के आवाह्न का हिलसा में कोई खास असर नहीं हुआ। अभी भी लोग नगदी से ही अधिक कारोबार कर रहे हैं। शहर की एक फीसदी दुकानों में भी पॉउस मशीन नहीं लगा है। कैश लेस के नाम पर सिर्फ एटीएम को ही लोग व्यवहार में ला रहे हैं।
शहर में छोटी-बड़ी करीब पांच सौ से अधिक दुकानें हैं, लेकिन एकाध दुकानों को छोड़ किसी भी दुकान में पॉउस मशीन नहीं लगा हुआ है।
इतना ही नहीं कुछेक बैंकों को छोड़ दें तो अधिकांश बैंको में भी पॉउस मशीन नहीं लगा हुआ है। ऐसी स्थिति में लोग न केवल दुकानों से खरीददारी बल्कि बैंक में जमा व निकासी भी नगदी करने को बाध्य हैं।
हां यहां कैश लेस के रुप में लोग व्यवहार करते हैं तो वो है एटीएम। एटीएम से रुपयों की निकासी करने के अलावा लोग एक-दूसरे के खाते में ट्रांसफर भी करते हैं। पहले सिर्फ निकासी की परम्परा थी, लेकिन पिछले कुछ दिनों से ट्रांसफर की भी प्रक्रिया बढ़ी है।
नगदी कारोबार के रुप में सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाले रजिस्ट्री कार्यालय में भी कैश लेस असरदार नहीं हो पाया है। कुछेक खरीददार और बिक्रेता को छोड़ दें तो अधिकांश नगदी ही कारोबार कर रहे हैं।
इतना ही नहीं सरकारी फीस भी नगदी में ही जमा हो रहा है। जबकि कैश लेस के तहत सरकारी फीस और खरीदगी की राशि का भुगतान चेक से होनी चाहिए थी।
पहले तो कुछेक लोग जमीन की खरीद-बिक्री में चेक के रुपयों का लेन-देन कर लेते थे लेकिन जब से नोटबंदी लागू हुआ तब से इस व्यवहार में कमी आई है। सरकारी खजाना छोड़ अधिकांश विक्रेता नगदी ही देने को क्रेता को मजबूर करते हैं।
बहरहाल जो भी हो पीएम मोदी भले ही देश में कैश लेस व्यवस्था को बेहतर बताते हुए आमजनों से इसे अपनाने की कोशिश करने का आवाह्न कर चुके हों लेकिन शहरी इलाके में सुमार हो चुके हिलसा के लोग कब व्यवहार में लाएंगे यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।