Home देश अब सीएम नीतीश को उनके गाँव-जेवार में मुर्दाबाद के साथ काला झंडा! 

अब सीएम नीतीश को उनके गाँव-जेवार में मुर्दाबाद के साथ काला झंडा! 

सीएम नीतीश कुमार दलित-महादलित सम्मेलन में भाग लेने के लिए मुंगेर जा रहे थे, इसी बीच जब उनका काफिला बख्तियारपुर प्रखंड के सबनीमा के पास से गुजर रहा था तो सवर्ण सेना के कुछ अतिउत्साही युवकों ने उन्हें काला झंडा दिखा दिया और मुर्दाबाद के नारे लगाए….”

पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज ब्यूरो)। बिहार में सवर्ण  संगठनों के लगातार केंद्रीय मंत्री तथा विधायक-सांसद के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बीच सीएम नीतीश कुमार को भी सवर्ण  संगठनों का विरोध झेलना पड़ गया, वो भी अपने ही गाँव -जेवार में।nitish black flage show 2 1

सवर्ण समुदाय के लोग पिछले तीन माह से आरक्षण की मांग को लेकर सड़क पर विरोध जता रहे है। राज्य से लेकर केंद्रीय मंत्री, विधायक तथा सांसद के खिलाफ नारेबाजी करते आ रहे हैं।

लेकिन इस बार सवर्ण संगठनों के लोगों ने तो हद ही कर दी। सीएम नीतीश कुमार को उनके ही पैतृक घर में घेरकर काला झंडा दिखाया तथा उनके खिलाफ नारेबाजी की।

बताया जाता है कि सीएम नीतीश कुमार दलित -महादलित सम्मेलन में भाग लेने के लिए मुंगेर जा रहे थे। इसी बीच जब उनका काफिला बख्तियारपुर प्रखंड के सबनीमा के पास से गुजर रहा था तो सवर्ण सेना के युवकों ने उन्हें काला झंडा दिखा दिया।

इतना ही नहीं, मुंगेर जाने के दौरान लखीसराय के पास रामपुर गाँव के पास काले रंग की जातिसूचक शब्द लिखे टीशर्ट पहने कुछ युवकों ने सीएम को काला झंडा दिखा दिया तथा उनके खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

नीतीश कुमार मुर्दाबाद के भी नारे लगे। हालाँकि सीएम के काफिले में चल रहे पुलिस ने काला झंडा दिखाने वाले युवको को भगाने का भी प्रयास किया । जातिगत आरक्षण की मांग को लेकर विभिन्न सवर्ण संगठनों ने पिछले तीन महीने से मोर्चा खोल रखा है।

इसके पहले विभिन्न सवर्ण संगठनों  ने एनडीए के नेताओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं। केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी जब बिहार आयी थीं तो उनको काला जंडा दिखाया गया था।

केन्द्रीय मंत्री अश्विनी चौबे, केन्द्रीय मंत्री रामकृपाल यादव, डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी, सांसद मनोज तिवारी, बिहार सरकार के मंत्री ललन सिंह के खिलाफ सवर्ण समुदाय विरोध दर्ज करा चुका है।

इन सब के बीच जदयू ही पहले ही अपना स्टैंड साफ कर दिया है कि जातिगत आरक्षण देना संभव नहीं है।इस बात को लेकर सवर्ण संगठनों में आक्रोश दिख रहा है। जिसके और गंभीर परिणाम आसन लोकसभा चुनाव में दिख सकता है।

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