“ मुजफ्फरपुर का खबड़ा इलाका पूर्व से ही चर्चित रहा है। 5 दिसम्बर 1994 को इसी खबड़ा से गुजरने वाले एनएच-28 पर गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या उस उन्मादी और आक्रोशित भीड़ ने कर दी थी, जो छोटन शुक्ला की हत्या के बाद उनकी अंतिम यात्रा में शामिल थे……”
मुजफ्फरपुर (विनायक विजेता)। बीते 6 अगस्त को एससीएसटी कानून के विरोध में भारत बंद के दौरान मुजफ्फरपुर में एक्ट विरोधी लोगों द्वारा अपने उपर कथित हमले का आरोप लगाने वाले सांसद पप्पू यादव इस मामले में अब बैकफूट पर आ सकते हैं।
गौरतलब है कि सांसद ने अपने ऊपर हुए कथित हमले के बाद मीडिया के सामने रोते हुए मुजफ्फरपुर की एसएसपी हरप्रीत कौर पर कई गंभीर आरोप लगाए थे।
सांसद के आरोपों का एसएसपी ने जिस मर्यादित ढंग और बेबाकी से जवाब दिया उनके इस जवाब से पूरा बिहार मुजफ्फरपुर की इस पहली महिला एसएसपी का कायल हो गया दिखता है।
एसएसपी के दिए गए जवाबों के बाद सोशल मीडिया पर पप्पू यादव के खिलाफ बयानों और कमेंट की झड़ी लग गई है। मुजफ्फरपुर के उस खबड़ा इलाके का दौरा किया जहां एनएच पर उन्होंने उन्मादी भीड़ द्वारा हमला करने का आरोप लगाया था और यह बयान देकर समाज में जातीय वैमनस्यता फैलाने की कोशिश की थी कि ‘उनसे उनका जात पूछकर उनपर हमला किया गया और उन्हें जान से मारने की कोशिश की गई।’
6 सितम्बर की घटना का जिक्र करते हुए इस गांव के कई युवा पप्पू यादव के आरोपों को सरासर गलत बताते हैं। उस दिन जब पप्पू यादव का काफिला वहां पहुंचा तो लोगों ने थोड़ी तक उनकी गाड़ी उनसे इस बंद को अपना समर्थन देने के लिए जरुर रोकी। इसके बाद पप्पू यादव खुद गाड़ी से उतर कर लोगों से बात की।
खबड़ा के लोग कहते हैं कि पूरे देश को पता है कि पप्पू यादव किस जाति के हैं। पर उनका यह आरोप कि उनसे जाति पूछकर उनपर हमला किया गया बिल्कुल बेबुनियाद और समाज में वैमनस्यता फैलाने वाला है।
पप्पू यादव द्वारा मुजफ्फरपुर एसएसपी पर लगाए गए आरोप पर एसएसपी के जवाब की सत्यता की पुष्टि बिहार के आईजी, ऑपरेशन कुंदन कृष्नन ने भी की है।
उन्होंने बताया कि 6 सितम्बर को सुबह 9 बजे से दोपहर बाद लगभग 2 बजे तक एसएसपी पुलिस लाईन में उनके साथ ‘रिव्यू’ में थीं। हरप्रीत कौर जिनके बारे में जगजाहिर है कि किसी भी संवेदनशील मामले में वह तुरंत ऐक्शन लेती है, चाहे वह उनकी पदस्थापना वाला जिला हो या किसी दूसरे जिले का मामला।
बात सितम्बर 2016 की है। तब हरप्रीत कौर कैमूर की एसपी हुआ करती थी। सहरसा के एक अस्पताल में एक बच्चे को जन्म देने के बाद गुलशन बीबी उर्फ कंचन की मौत हो गई, जिसे उसका दुसरा पति अस्पताल में छोड़कर फरार हो गया था।
कंचन की मौत के बाद उसके हिन्दू या मुस्लिम होने के मामले को लकर तब सहरसा पुलिस काफी परेशान थी। किसी तरह यह पता चला कि कंचन का पहला ससुराल कैमूर जिले में है।
तब कैमूर एसपी के रुप पदस्थापित हरप्रीत कौर को इस मामले की भनक मिली उन्होंने 12 घंटे के अंदर कंचन के वास्तविक घर और उसकी जाति का पता कर सहरसा पुलिस की मुश्किलें आसान कर दी थीं।
पप्पू यादव को अपने मामले पर दूसरे दलों से भी समर्थन की उम्मीद रही होगी , पर उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया और एसपी के जवाब के बाद वह बैकफूट पर आए दिख रहे हैं।
इधर बिहार पुलिस एसोसिएशन ने हरप्रीत कौर की बेबाकी की प्रशंसा करते हुए उन्हें संघ की ओर से उन्हें पूरा नैतिक समर्थन देने की घोषणा की है। बिपुए के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार सिंह ने कहा कि पूरा संघ इस मामले में एसएसपी हरप्रीत कौर के साथ है।
इधर मंगलवार को मुजफफरपुर के एक समाजसेवी अजय कुमार पांडेय ने सांसद पप्पू यादव के बयान के खिलाफ स्थानीय सीजेएम कोर्ट में पप्यू यादव पर कम्पलेट केस दायर किया है।
गौरतलब है कि इस मामले के बाद पप्पू यादव ने एसएसपी के खिलाफ मीडिया में यह बयान दिया था कि ‘एसएसपी ने रात के 12 बजे पत्रकारों को ‘लव लेटर’ लिखा था।’