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श्री राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट घोटालाः सुल्तान के 2 करोड़ की जमीन 5 मिनट बाद अनिल-चंपत ने 18 करोड़ में खरीदी !

यह जमीन शाम सात बजकर 10 मिनट पर खरीदी गई। उसके ठीक पांच मिनट के बाद इसी जमीन को चंपत राय ने सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी से साढ़े 18 करोड़ रुपए में खरीद लिया। इनमें से 17 करोड़ रुपए आरटीजीएस के जरिए पेशगी के तौर पर दिए गए

इंडिया न्यूज रिपोर्टर डेस्क। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य एवं पार्टी राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय सिंह ने अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करा रहे श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाते हुए उसकी जांच सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से कराने की मांग की है।

सिंह ने रविवार को यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस में सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कहा कि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने संस्था के सदस्य अनिल मिश्रा की मदद से दो करोड़ रुपए कीमत की जमीन 18 करोड़ रुपए में खरीदी।

यह सीधे-सीधे धन शोधन का मामला है और सरकार इसकी सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय से जांच कराये। इस बारे में चंपत राय और अनिल मिश्रा से बात करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।

सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुछ दस्तावेज पेश करते हुए कहा, “कोई यह कल्पना भी नहीं कर सकता कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के नाम पर कोई घोटाला और भ्रष्टाचार करने की हिम्मत करेगा, लेकिन जो कागजात मैं आपके सामने दिखाने जा रहा हूं, वे चिल्ला-चिल्ला कर कह रहे हैं कि राम जन्मभूमि ट्रस्ट के नाम पर करोड़ों रुपए चंपत राय जी ने चंपत कर दिए।

उन्होंने दावा किया कि अयोध्या सदर तहसील के बाग बिजैसी गांव में पांच करोड़ 80 लाख रुपये की मालियत वाली गाटा संख्या 243, 244 और 246 की जमीन सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी नामक व्यक्तियों ने कुसुम पाठक और हरीश पाठक से 18 मार्च को दो करोड़ रुपए में खरीदी थी।

इस जमीन खरीद में राम जन्मभूमि ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा और अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय गवाह बने थे। यह जमीन शाम सात बजकर 10 मिनट पर खरीदी गई। उसके ठीक पांच मिनट के बाद इसी जमीन को चंपत राय ने सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी से साढ़े 18 करोड़ रुपए में खरीद लिया। इनमें से 17 करोड़ रुपए आरटीजीएस के जरिए पेशगी के तौर पर दिए गए।

 दो करोड़ रुपए में खरीदी गई जमीन का दाम लगभग प्रति सेकंड साढ़े पांच लाख रुपए बढ़ गया। हिंदुस्तान तो क्या, दुनिया में कहीं किसी जमीन का दाम इतनी तेजी से नहीं बढ़ता।

मजेदार बात यह है कि जो राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा और अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय बैनामा कराने में गवाह थे, वो ही इस जमीन को ट्रस्ट के नाम पर खरीदने में भी गवाह बन गए। यह साफ तौर पर धन शोधन और भारी भ्रष्टाचार का मामला है।

मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार से मांग करता हूं कि तत्काल ईडी और सीबीआई के जरिए इस मामले की गहन जांच कराकर इसमें शामिल भ्रष्टाचारी लोगों को जेल में डाला जाए, क्योंकि यह इस मुल्क के करोड़ों राम भक्तों की आस्था के साथ-साथ उन करोड़ों लोगों के भरोसे का भी सवाल है जिन्होंने अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा राम मंदिर निर्माण के लिए दिया है।”

उन्होंने कहा, ‘‘इस मामले में एग्रीमेंट के स्टांप का समय और बैनामे के स्टांप का समय भी सवाल खड़ा करता है। जो जमीन बाद में ट्रस्ट को बेची गई उसका स्टांप शाम को पांच बजकर 11 मिनट पर खरीदा गया और जो जमीन पहले रवि मोहन तिवारी और अंसारी ने खरीदी उसका स्टांप पांच बजकर 22 मिनट पर खरीदा गया।’’

 किसी भी ट्रस्ट में जमीन खरीदने के लिए बाकायदा बोर्ड का प्रस्ताव होता है। आखिर पांच मिनट में ही कैसे राम मंदिर ट्रस्ट ने यह प्रस्ताव पारित कर लिया और फौरन जमीन खरीद ली।

उन्होंने कहा, “मैं समझता हूं आज उन करोड़ों भक्तों को गहरी ठेस लगी होगी जिन्होंने प्रभु श्री राम के भव्य मंदिर निर्माण के नाम पर चंदा दिया। प्रभु श्री राम के नाम पर बने ट्रस्ट के वह जिम्मेदार लोग करोड़ों रुपए की हेराफेरी कर रहे हैं।”

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