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मलमास मेला सैरात भूमि पर नवनिर्मित अवैध बाउंड्री हटाने में राजगीर प्रशासन की पैंट हो रहा गीला

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राजगीर (मंजीत प्रभाकर)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में राजगीर नगर परिषद अंतर्गत मलमास मेला सैरात भूमि में बन रही अवैध बाउंड्री लेकर स्थानीय लोगों के विरोध एवं सोशल मीडिया पर क्षोभ के बाद नगर परिषद राजगीर के द्वारा बाउंड्री हटाने के लिए बीते 18 अगस्त को एक नोटिश भी जारी किया गया था।

Rajgir administrations pants are getting wet in removing the newly constructed illegal boundary on Malmas Mela Sairat land 1इस नोटिश के अनुसार राजगीर नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी ने राजगीर मखदूम कुंड निवासी मो. आफताब आलम के नाम एक नोटिश जारी किया था। जिसमें उल्लेख है कि राजगीर मलमास मेला सैरात भूमि जिसका खाता नं.-332/खेसरा सं.-5092 रकवा के अंश भूभाग पर आपके (मो. आफताब आलम) द्वारा गलत मंशा से निर्माण कार्य कराया जा रहा है, जो नगर पालिका अधिनियम 2007 के गैर कानूनी एवं दंडनीय अपराध है।

नोटिश में मो. आफताब आलम को यह भी चेतावनी दी गई थी कि पत्र प्राप्ति के 24 घंटे के भीतर किया गया निर्माण कार्य हटा लें, अन्यथा की स्थिति में नगर प्रशासन द्वारा निर्माण कार्य को ध्वस्त करते हुए कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

उल्लेखनीय है कि इस नोटिश की प्रतिलिपि राजगीर थानाध्यक्ष, राजगीर अंचलाधिकारी, राजगीर भूमि उप समाहर्ता, राजगीर अनुमंडल पदाधिकारी, नालंदा अपर समाहर्ता, नालंदा जिला पदाधिकारी, पटना प्रमंडल आयुक्त के साथ बिहार सरकार के नगर विकास एवं आवास विभाग के अपर मुख्य सचिव को भी सौंपी गई थी। राजगीर थानाध्यक्ष को यथास्थिति बरकरार रखने का निर्देश भी दिया गया था।

लेकिन राजगीर नगर परिषद प्रशासन की नपुसंकता का आलम यह है कि 24 घंटे तो दूर 24 दिन बाद भी मलमास मेला सैरात भूमि पर नव निर्मित वाउंड्री को नहीं तोड़ा जा सका है।

यहां के स्थानीयों का मानना है कि इस बाउंड्री को करने के लिए सत्तारुढ़ सरकार के कतिपय स्थानीय नेताओं का सहयोग एवं हाथ है, जिसके कारण अपने सत्ता का दुरुपयोग करते हुए इस बाउंड्री को तोड़ने से रोक दिया गया है एवं इसे तोड़ने के बजाय घेर कर छोड़ दिया गया, ताकि यह मामला दब जाए और लोगों के नजर से इस अवैध बाउंड्री के प्रति ध्यान हट जाए।

वहीं कुछ स्थानीय हो गया मानना है कि इसी बाउंड्री के आसपास कुछ दबे कुचले, गरीब, दलित लोग, जिन लोगों के रहने के लिए अपना घर नहीं था, वैसे जो भी लोग इस क्षेत्र के आसपास झोपड़ी-पट्टी बनाकर रह रहे थे। उन्हें स्थानीय प्रशासन के द्वारा बार-बार हटा कर परेशान किया जाता है। लेकिन सत्ता के कतिपय नेताओं के दबदबा के कारण मो. आफताब आलम जैसे भू-माफियाओं के सामने उनकी पैंट गीली हो रही है।

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