“45 लाख लूट में संजय सिंह की संलिप्तता की जांच, दो ग्रामीणों से पुलिस ने कराए सादे कागज पर हस्ताक्षर, किया जा सकता है नौबतपुर थाना के हवाले भी, देखना है कि इस मामले में आगे-आगे होता है क्या?”
पटना से विनायक विजेता की खोजपरक रिपोर्ट……….
बुधवार को पटना के कंकड़बाग इलाके से कभी पांडव सेना का प्रमुख रहा संजय सिंह को गुरुवार को देर शाम दबोच कर धनरुआ पुलिस के हवाले कर दिया गया।
मूल रुप से नीमा गांव निवासी संजय सिंह पर बीते 29 अगस्त को धनरुआ थाना क्षेत्र के नीमा गांव के समीप बैंक के कैश वैन से 45 लाख रुपये लूटे जाने मामले में संलिप्तता का शक था।
पटना पुलिस की लगातार जांच और संजय सिंह से हुई पूछताछ के बाद पुलिस को इस मामले में संजय सिंह की संलिप्तता कहीं नहीं दिखी पर पुलिस की छानबीन जारी है।
सूत्रों के अनुसार पूछताछ के क्रम में संजय सिंह ने पुलिस के वरीय अधिकारियों को यहां तक कहा कि उसने वर्षों पहले अपराध का रास्ता त्याग दिया पर जिस अपराधियों ने इस लूट कांड को अंजाम देकर उसके गांव और उसका नाम बदनाम करने की साजिश रची वह उसका पता लगाकर उसे किसी कीमत पर नहीं छोड़ेगा।
सूत्रों के अनुसार गुरुवार को पटना पुलिस ने संजय सिंह को इस लूट मामले में धनरुआ पुलिस के हवाले कर दिया।
सूत्रों के मुताबिक संजय सिंह को धनरुआ थाना लाने के बाद देर गुरुवार को मध्य रात्री धनरुआ पुलिस की टीम नीमा गांव पहुंची और संजय सिंह के क्रियाकलापों की छानबीन की।
पुलिस ने गांव के लालधर शर्मा और मुन्ना कुमार नामक दो ग्रामीणों से सादे कागज पर हस्ताक्षर भी लिए। पुलिस ने यह हस्ताक्षर किस मंशा से करवाए इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है।
सूत्र बताते हैं कि लूट मामले में संजय सिंह की संलिप्तता न पाये जाने पर धनरुआ पुलिस उसे नौबतपुर पुलिस के हवाले भी कर सकती है।
गौरतलब है कि नौबतपुर थाना अंतर्गत पीतमास गांव में बीते 30 जनवरी को पुलिस ने धीरज सिंह नामक एक युवक के मकान से 386 कार्टन विदेशी शराब बरामद किया था।
मीडिया सूत्रों के अनुसार तब इस संदर्भ में एएसपी राकेश कुमार सहित पुलिस के वरीय पदाधिकारियों ने नौबतपुर थाना में एक प्रेस कांफ्रेंस कर इस बरामदगी की जानकारी मीडिया को दी थी ।
तब किसी अधिकारी ने संजय सिंह का नाम इस मामले में सामने लाया था और न ही एफआईआर या चार्जशीट में संजय सिंह का नाम है। बाद में यह चर्चा जरुर हुई थी कि जब्त शराब संजय सिंह द्वारा मंगायी गई थी।
सूत्र बताते हैं कि 1993 से सक्रिय और 1996 के बाद चर्चा में आए नीमा गांव के पांच लोगों का पांडव गिरोह में संजय सिंह, बबलू सिंह व एक अन्य ही एक मात्र ऐसा अपराधी था जो नशा के किसी भी आदत से कोसों दूर था।
इसमें एक बबलू सिंह और अशोक सिंह कि एक दशक पूर्व गढ़वा में उस वक्त हत्या कर दी गई जब दोनों रात का खाना खाकर टहलने के लिए बाहर निकले थे।
तब यह चर्चा थी कि दोनों की हत्या रेलवे टेंडर विवाद को लेकर तब के एक बाहुबली विधायक के इशारे पर कुख्यात नंदगोपाल उर्फ फौजी और उसके साथियों ने कर दी।
सनद रहे की काफी सालों से फरार फौजी को पिछले वर्ष भोजपुर पुलिस ने काफी नाटकीय तरीके झारखंड से दबोचने में सफल हुई थी।
बहरहाल पूरे मामले में सत्यता क्या है इसे लेकर पुलिस के आलाधिकारी भी अभी कुछ कहने से कतरा रहे हैं।
पटना से प्रकाशित एक प्रमुख हिन्दी दैनिक में शुक्रवार को यह खबर छपी है कि संजय सिंह को पकड़ते समय उसके पास से चार बोतल अंगे्रजी शराब भी बरामद की गई है जबकि पुलिस के आलाधिकारी इस खबर का खंडन कर रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार सच्चाई यह है कि संजय सिंह अपनी पहली पत्नी प्रतीमा सिंह के आग्रह और कहने पहली पत्नी से हुई छह वर्षीय बेटी के दांत दर्द का इलाज कराने अपनी सेंट्रो कार से बुद्धा डेंटल अस्पताल गया था जहां से ही उसे रंगदारी स्पेशल सेल के पुलिसकर्मियों ने दबोच लिया।
सूत्रों के अनुसार जिस समय संजय सिंह को दबोचा गया, उस वक्त उसके साथ उसकी पहली पत्नी की मासूम बेटी और सात माह पूर्व ब्याही दूसरी गर्भवती पत्नी भी साथ थी। जिसे पुलिस ने अपनी मानवीयता दिखाते हुए बाइज्जत संजय सिंह की गाड़ी से ही वापस कर दिया।